मुंबई में 3-4 सीट छोड़कर पूरे महाराष्‍ट्र में कांग्रेस की जमानत जब्‍त होगी: संजय निरुपम

मुंबईमहाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव 2019 (Maharashtra Assembly Elections 2019) के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद बगावत खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने अपनी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्सोवा सीट पर मैंने अपनी पसंद का उम्‍मीदवार मांगा था, लेकिन निराशा मिली. उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सोनिया गांधी के पास बैठे लोग साजिश रच रहे हैं. पार्टी में पुरानी परंपरा खत्‍म हो गई है. कांग्रेस के सिस्‍टम में गड़बड़ी आ गई है, यदि सुधार नहीं हुआ तो पूरी पार्टी तबाह हो जाएगी.

संजय निरूपम ने कहा कि मैं मल्लिकार्जुन खड़गे के पास गया लेकिन वे नहीं मिले. अगर कांग्रेस का ऐसा ही हाल रहा तो ज्‍यादा दिन पार्टी में नहीं रहूंगा. जिस दिन दर्द सहने की क्षमता जवाब दे देगी उस दिन फैसला ले लूंगा. उन्‍होंने कहा, ”मैं पार्टी नहीं छोड़ना चाहता लेकिन यदि पार्टी के भीतर ऐसी ही चीजें चलती रहीं तो मैं ज्‍यादा दिन तक कांग्रेस में नहीं रहूंगा. मैं चुनाव प्रचार में भी हिस्‍सा नहीं लूंगा.” उन्‍होंने ये भी कहा कि कांग्रेस दफ्तर में बैठकर राहुल गांधी के खिलाफ साजिश रची जाती है. हरियाणा चुनाव के संदर्भ में निरुपम ने कहा कि भूपिंदर सिंह हुड्डा के सामने कांग्रेस झुक गई है.

उल्‍लेखनीय है कि इधर कई महीनों से संजय निरुपम कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. लोकसभा चुनावों से ऐन पहले उनको अचानक मुंबई कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से हटा दिया गया था. उसकी जगह मिलिंद देवड़ा को कमान दी गई थी. उसके बाद से ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई. इसी तरह जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद एम. देवड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उस पर भी संजय निरुपम ने तंज कसा था. हालांकि उन्‍होंने अपने इस तंज में कहीं भी उनका नाम नहीं लिया लेकिन उनके ट्वीट से साफ था कि उन्‍होंने निशाना मिलिंद देवड़ा पर ही साधा है. दरअसल लोकसभा चुनावों में मुंबई कांग्रेस की कमान संजय निरुपम के हाथ से लेकर मिलिंद देवड़ा को दी गई थी.

मिलिंद देवड़ा के मुंबई कांग्रेस का अध्‍यक्ष पद छोड़ते ही संजय निरुपम ने दो ट्वीट किए थे. इसमें उन्‍होंने मिलिंद देवड़ा पर‍ निशाना साधते हुए लिखा था, इस्तीफा में त्याग की भावना अंतर्निहित होती है. यहां तो दूसरे क्षण ‘नेशनल’ लेवल का पद मांगा जा रहा है. यह इस्तीफा है या ऊपर चढ़ने की सीढ़ी? पार्टी को ऐसे ‘कर्मठ’ लोगों से सावधान रहना चाहिए.

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