पहली मंत्री जिन्होंने ‘डिजिटल डिप्लोमेसी’ की वकालत की, विपक्ष के नेता भी थे मुरीद

नई दिल्लीपूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. निधन के कुछ देर पहले ही सुषमा ने जम्मू एवं कश्मीर में से धारा 370 हटाने पर मोदी सरकार की तारीफ की थी. 40 साल के राजनीतिक करियर में सुषमा ने कई उपलब्धियां हासिल कीं. वह महज 25 साल की उम्र में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनी थीं. वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं. वह पहली मंत्री हैं जिन्होंने ‘डिजिटल डिप्लोमेसी’ की वकालत की. विपक्ष के नेता भी उनके मुरीद थे. 

इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था. बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं. सुषमा सात बार सांसद रह चुकी थीं.

स्वराज एक ऐसी राजनीतिक शख्सियत थीं जिनका सम्मान विपक्ष के नेता करते थे. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में उन्होंने विदेश मंत्री के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई. विदेश को उन्होंने आमजन का मंत्रालय बना दिया. दुनिया के किसी भी कोने में मुसीबत में फंसे भारतीय नागरिक को समुचित मदद दिलाने में लगातार सक्रिय रहीं. उनकी इस कार्यशैली पर अमेरिका के अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने उन्हें ‘भारत की सुपरमॉम’ कहा था. 

चाहे वह विदेश में फंसे किसी भारतीय को स्वदेश लौटने में मदद की बात हो या किसी व्यक्ति की पासपोर्ट संबंधी समस्या हो, जिसने भी स्वराज से मदद मांगी, उन्होंने हर संभव मदद की. उन्होंने छोटे से छोटे अनुरोध को अनदेखा नहीं किया.   

पंजाब के अंबाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1953 को अंबाला कैंट हरियाणा में हुआ. उनके पिता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य थे. इसलिए उनका लालन-पालन राजनीतिक परिवेश में हुआ.


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