अजय देवगन के साथ सैफ को भी मिली ‘तानाजी : द अनसंग हीरो’ से ‘विजय’


स्टारकास्ट : अजय देवगन, सैफ अली खान, काजोल, शरद केलकर, नेहा शर्मा, पद्मावती राव
निर्देशक : ओम राउत
अवधि : 2 घंटा 15 मिनट
स्टार : 3.5

नई दिल्ली. ओम राउत ने ‘तानाजी : द अनसंग हीरो’ (Tanhaji : The Unsung Warrior) से बॉलीवुड फिल्म निर्देशन में कदम रखने के साथ ही साबित कर दिया है कि वह एक अच्छी पीरियड फिल्म बना सकते हैं. फिल्म के एक-एक सीन पर ओम राउत ने बारीकी से काम किया है. यह फिल्म मराठाओं की शूरवीरता दिखाने में पूरी तरह कामयाब हुई है. बेशक, कई बार ऐतिहासिक फिल्में खासतौर पर युद्ध पर बनी फिल्में बोझिल और उबाऊ हो जाती हैं, लेकिन तानाजी देखकर आपको ऐसा नहीं लगेगा. बहुत दिनों बाद सैफ अली खान (Saif Ali Khan) इतने बेहतरीन रोल में दिख रहे हैं. या यूं कहें कि वह बड़े परदे पर लंबे समय के बाद अपनी मजबूत एंट्री दर्ज करवा रहे हैं. यह उनके लिए किसी ‘विजय’ से कम नहीं है.

ऐसी है फिल्म की कहानी
यह फिल्म मराठा योद्धा तानाजी मालुसरे के यश और गौरव की कहानी है, जिसमें मराठाओं की आन-बान-शान को दिखाया गया है. औरंगजेब पूरे हिन्दुस्तान पर अपना परचम लहराने की रणनीति बना रहा है. इतिहास में यह लड़ाई सिंहगढ़ के युद्ध के नाम से दर्ज है. शिवाजी महाराज (शरद केलकर) का जांबाज योद्धा सूबेदार तानाजी मालसुरे (अजय देवगन) अपनी पत्नी सावित्रीबाई (काजोल) के साथ अपने बेटे की शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं. शिवाजी कोंढाणा किले को वापस पाना चाहते हैं. हालांकि शिवाजी महाराज नहीं चाहते कि वे शादी की तैयारियों में व्यस्त तानाजी को युद्ध में भेजें, लेकिन जब तानाजी को पता चलता है कि मराठा साम्राज्य पर मुसीबत आई है तो वह भगवा पहनकर उदयभान राठौड़ को रोकने के लिए निकल पड़ते हैं. उदयभान भी जाबांजी में तानाजी से कम नहीं हैं, लेकिन बर्बरता उसमें कूट-कूटकर भरी हुई है. किस तरह तानाजी ये लड़ाई लड़ते हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है. उदयभान एक राजपूत हैं, लेकिन वह औरंगजेब की तरफ से मराठाओं के खिलाफ लड़ता है. ये फिल्म तानाजी की वीरता, सच्चाई और देशभक्ति की कहानी है.

फिल्म की खासियत
मराठाओं की छापमार युद्धनीति को ध्यान में रखते हुए युद्ध दृश्य डिजाइन किए गए हैं, जो काफी रोचक लगते हैं.किलों और घाटियों को परदे पर जैसे दिखाया गया है, वह भी काबिलेतारीफ है. 3 डी इफेक्ट्स के साथ इसके युद्ध सीन और दमदार लग रहे हैं.

कैसी है एक्टिंग

अजय देवगन यौद्धा के रूप में एकदम फिट लगे हैं. मराठाओं के लिए मर-मिटने का इमोशन से भरा जज्बा भी लोगों को खूब पसंद आएगा. काजोल को कम ही सीन मिले हैं, लेकिन जितने भी हैं उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है. उदयभान के गेटअप से लेकर एक्टिंग तक सैफ अली खान बेहतरीन लगे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि अच्छी स्क्रीप्ट हो तो सैफ से कुछ भी बढ़िया कराया जा सकता है. शिवाजी के किरदार में शरद केलकर भी ठीक लगे हैं.

संगीत

सचेत-परंपरा, अजय-अतुल और शंकर अहसान लॉय जैसे संगीतकारों की मौजूदगी में ‘शंकरा रे शंकरा’, ‘माय भवानी’ और ‘घमंड कर’ जैसे गाने फिल्म की कहानी और दृश्यों के साथ बढ़िया मैच कर रहे हैं.

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