अधीर रंजन चौधरी ने बताया, आखिर कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं युवा नेता


कोलकाता. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी के कई ‘अति महत्वाकांक्षी’ युवा नेता बेचैन हो रहे हैं और पार्टी से अलग हो रहे हैं क्योंकि यह धारणा बढ़ रही है कि कांग्रेस बहुत जल्द केंद्र की सत्ता में वापसी नहीं करने वाली है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ युवा नेताओं के अलग होने से पार्टी पर अस्थायी तौर पर कुछ विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी वाले नेताओं की आकांक्षाओं की संतुष्टि के लिए अनुशासन एवं विचारधारा से समझौता नहीं किया जा सकता.

उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब कुछ महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से अलग हो गए और अब सचिन पायलट ने बगावत की है. चौधरी ने कहा, ‘‘अति महात्वाकांक्षी युवा नेताओं का एक धड़ा है. वे बेचैन हो रहे हैं और उन्हें लगता है कि पार्टी में उन्हें वाजिब हक नहीं मिल रहा है. ऐसे में वे अपनी निजी आकांक्षाओं की संतुष्टि के लिए विकल्प तलाश रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यह धारणा बढ़ रही है कि कांग्रेस बहुत जल्द केंद्र की सत्ता में लौटने वाली नहीं है और ऐसे में पार्टी उनकी सभी मांगें पूरी नहीं कर पाएगी. इसलिए वे पार्टी छोड़ रहे हैं या फिर ऐसा करने की योजना बना रहे हैं.’’

सिंधिया और पायलट के संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन दोनों युवा नेताओं की कांग्रेस में कभी उपेक्षा नहीं हुई. उन्‍होंने इस बात को खारिज कर दिया कि सिंधिया ने मध्य प्रदेश में पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख होते हुए जीत दिलाई थी. चौधरी ने कहा कि अगर ऐसा होता तो सिंधिया लोकसभा चुनाव नहीं हारते.

पायलट के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘अगर 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का इकलौता कारण पायलट होते तो फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में वहां हमारा प्रदर्शन इतना बुरा क्यों रहता.’’

पार्टी में नेतृत्व के संकट से जुड़े सवाल पर चौधरी ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी में नेतृत्व का कोई संकट नहीं है. यह सब मीडिया का पैदा किया हुआ है. सोनिया गांधी हमारी नेता हैं और उनकी राजनीतिक दक्षता पर किसी को सवाल नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी अगुआई में ही कांग्रेस 2004 और 2009 में दो बार लोकसभा चुनाव जीती.’’ उन्होंने कहा कि राहुल गांधी देश में एकमात्र विपक्षी नेता हैं जो प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों की लगातार आलोचना कर रहे हैं.

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