अमेरिका और यूके में इतनी बुरी हालत? कचरे का बैग पहनने पर मजबूर नर्स
नई दिल्ली. 1916 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने सैनिकों को जरूरी उपकरण के बिना ही युद्ध के लिए भेज दिया था, सौभाग्य से युद्ध मित्र देशों के पक्ष में गया. प्रथम विश्व युद्ध को खत्म हुए 100 साल से भी ज्यादा बीत चुके हैं. आज,अमेरिका एक और लड़ाई लड़ रहा है और इसे ‘तीसरा विश्व युद्ध’ कहा जा रहा है. वुहान से निकला कोरोना वायरस (Coronavirus) दुश्मन है और अस्पताल युद्ध क्षेत्र बन गए हैं.
लेकिन इस बार भी मोर्चे पर तैनात पुरुष और महिलाओं के पास उपकरणों की कमी है. अमेरिका के पास अपने चिकित्साकर्मियों के लिए पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं हैं.
नर्स कचरे के बैग पहनने को मजबूर
ये सुरक्षात्मक उपकरण हैं जो स्वास्थ्यकर्मी काम के वक्त स्वास्थ्य या सुरक्षा के खतरे को कम करते हैं और अब जब वो उपलब्ध नहीं हैं तो नर्स कचरे का बैग पहनने को मजबूर हैं. न्यूयॉर्क की कई नर्सों ने सोशल मीडिया पर #riskingourlivestosaveyours के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट की हैं.
इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए? अमेरिकी फेडरल एजेंसियों की तैयारी में कमी को, राज्य सरकारों को या फिर अस्पतालों को? इमरजेंसी रूम की नर्स सिंथिया रिमर (Cynthia Riemer) का कहना है ”अगर हम बीमार होते हैं, तो उनकी देखभाल कौन करेगा?”
नर्सों का कहना है कि ये आपराधिक स्थिति है और इस अपराध में अमेरिका का साथी कौन है? युद्ध मित्र रहा यूनाइटेड किंगडम. लंदन भी स्वास्थ्य कर्मियों को बिना कवच के ही युद्ध में भेज रहा है. तीन नर्स पहले ही कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. वो सभी कचरे के बैग का ही इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं. लंदन के एक अस्पताल के एक वार्ड में 50% स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि डॉक्टरों को कोरोनो वायरस रोगियों का इलाज करने के लिए डराया धमकाया जा रहा है. चूंकि PPE उपलब्ध नहीं हैं इसलिए डॉक्टरों को अपनी सांस रोकने के लिए कहा जा रहा है. यदि आप ब्रिटिश सरकार से इसके बाबत सवाल करते हैं, तो वे इसका दोष अस्पतालों को देते हैं. लंदन अपने 17 प्रमुख चिकित्साकर्मियों को पहले ही खो चुका है.
कोरोना वायरस का प्रकोप जब चीन में था तब वो भी सुरक्षात्मक उपकरणों के लिए संघर्ष कर रहा था. चीन ने अकेले अमेरिका से 12.6 मिलियन डॉलर के सर्जिकल वस्त्र खरीदे थे. यह स्थिति उन देशों की है जो दुनिया के सबसे अमीर देश माने जाते हैं. वुहान से निकले वायरस ने सभी को अपनी चपेट में ले लिया है. इस वायरस ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की खामियों को भी उजागर कर दिया है.