अमेरिका का दावा: COVID-19 वैक्सीन पर हो रही रिसर्च चुराना चाहता है चीन, चेतावनी की तैयारी


नई दिल्ली. दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर बरकरार है और हर देश इसकी वैक्सीन खोजने में जुटा हुआ है, वहीं कोरोना को लेकर अमेरिका (America) लगातार चीन (China) पर आरोप लगा रहा है. अब अमेरिका कह रहा है कि चीन कोविड-19 वैक्सीन (covid-19 vaccine) की रिसर्च चुराना चाहता है.

साइबर हमलों ने अमेरिका और चीन के बीच संबंध और खराब कर दिए हैं. अमेरिका की शीर्ष एजेंसियां ​​चीन को कोविड-19 वैक्सीन की रिसर्च न चुराने की कड़ी चेतावनी जारी करने की तैयारी कर रही हैं.

अमेरिका का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान चीन के सबसे कुशल हैकर्स कोरोना वायरस वैक्सीन पर हो रही रिसर्च को चुराने के लिए अमेरिका पर साइबर हमले बढ़ा रहे हैं. एफबीआई और होमलैंड सिक्योरिटी अब इसपर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं. प्रीमियर चिकित्सा अनुसंधान केंद्रों से लेकर विश्वविद्यालय विभागों, यहां तक ​​कि अस्पतालों तक, घातक वायरस का इलाज खोजने में शामिल सभी को सतर्क किया जाएगा.

अमेरिका को आशंका है कि चीन के कई चोर इस काम में लगे हुए हैं. और वो अमेरिका के डेटाबेस से ज्यादा दूर नहीं हैं. भेजे जाने वाले वार्निंग लेटर में लिखा है- ‘चीन अवैध साधनों के माध्यम से वैक्सीन, उपचार और परीक्षण से संबंधित कीमती दस्तावेज और पब्लिक हेल्थ डेटा खोज रहा है.’

चीन ऐसा कैसे कर रहा है?

‘गैर-पारंपरिक साधनों’ के जरिए. राष्ट्रीय खुफिया और सुरक्षा केंद्र के अनुसार, अमेरिकी व्यापार में चीनी की चोरी से अमेरिका को हर साल 300 से 600 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है. क्या इसे चीन का छद्म युद्ध माना जा सकता है? यह पहली बार नहीं है जब चीन पर जानकारी चुराने का आरोप लगा है. अप्रैल के बाद से ही अमेरिका कह रहा है कि चीन अमेरिकी प्रयोगशालाओं पर जासूसी कर रहा है.

अमेरिका ने विश्वविद्यालयों में सूचना चोरी की रिपोर्ट के बाद चीन के छात्र कार्यक्रमों पर भी नकेल कसने पर विचार किया था. दावों की जांच के लिए एक सीनेट समिति का गठन किया गया था. उनकी रिपोर्ट ने ये दावा किया था कि चीन ‘व्यवस्थित ढंग से अमेरिकी रिसर्च की चोरी कर रहा है.’ चीन पर सैन्य तकनीक को चुराने की कोशिश करने के आरोप भी लगाए गए हैं. पेंटागन रिपोर्ट, सीनेट रिपोर्ट, न्यूज़ रिपोर्ट, सभी ने दावा किया था कि चीन अमेरिका के प्रभुत्व को खत्म करने के लिए सैन्य तकनीक की चोरी करना चाहता है.

दो साल पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को इन साइबर हमलों को रोकने के लिए विशेष अधिकार दिए गए थे. इसके अलावा यूके भी रूस और ईरान पर ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को हैक करने का आरोप लगा रहा है. यहां भी वजह वैक्सीन रिसर्च डेटा चोरी करना ही है. अगर यही ट्रेंड रहा, तो वायरस लैब पर हो रहे मौखिक हमले साइबर युद्ध में बदल सकते हैं. जब चीन से इन आरोपों के बारे में पूछा गया, तो उसने विक्टिम कार्ड खेलना ही चुना.जबकि दुनिया घातक महामारी के इलाज का इंतजार कर रही है, दो वैश्विक शक्तियां एक-दूसरे के रिसर्च प्रोजेक्ट में बाधा डालने में लगी हुई हैं.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!