अरविंद केजरीवाल: ‘एंग्री यंग मैन’ से ‘दिल्ली का बेटा’ तक का सियासी सफर


नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने आरटीआई एक्टिविस्ट से लेकर दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री तक एख लंबी यात्रा तय की है. इस दौरान वह एक बड़े भ्रष्टाचार आंदोलन, एक पार्टी का गठन और दिल्ली के सीएम पद उनके सफर के अलग-अलग पढ़ाव बने हैं. एक नजर उनके सफर पर

1995: सिविल सर्विस एग्जाम पास कर बनें IRS
2005: नौकरी से दिया इस्तीफा
2006: सूचना के अधिकार के लिए काम करने पर मिला रमन मैग्सेसे अवॉर्ड.
2011: इंडिया अगेंस्ट करप्शन के तहत भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के मुख्य रणनीतिकार बने.
2012: आम आदमी पार्टी की स्थापना की
2013: आप ने बिजली-पानी के बिलों का बड़ा मुद्दा बनाया. विधानसभा चुनाव में मिली 28 सीटें. कांग्रेस के समर्थन से 49 दिन की सरकार बनाई.
2014: लोकसभा चुनाव में आप ने उतारे 400 से ज्यादा उम्मीदवार उतारे. वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ा चुनाव. लोकसभा चुनाव में पार्टी की बुरी तरह हार.
2015: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की एतिहासिक जीत. 70 में से 67 सीटें पर जीत की दर्ज. दूसरी बार बनें मुख्यमंत्री
2015-2018: कई मुद्दों पर केंद्र से रहा टकराव, एलजी के साथ भी रहे मतभेद. केजरीवाल सरकार द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कामों की हुई सराहना.
2019: लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का करारी हार. लोकसभा चुनाव के बाद केजरीवाल ने बदली रणनीति. केंद्र से टकराव और पीएम मोदी पर सीधे हमलों को छोड़ काम पर दिया ध्यान. दिल्ली में बिजली-पानी-महिलाओं को मुफ्त सफर का मॉडल लॉन्च
2020: विधानसभा चुनाव में आप की प्रचंड बहुमत के साथ वापसी

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!