अर्मेनिया से युद्ध समाप्त करने के लिए अजरबैजान ने रखीं ये तीन शर्तें
बाकू. अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia, Azerbaijan War) के बीच जंग जारी है. दोनों देशों ने युद्ध खत्म करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील को खारिज कर दिया है. इस बीच, अजरबैजान के राष्ट्रपति ने जंग खत्म करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. उनका कहना है कि यदि अर्मेनिया इन शर्तों को स्वीकार कर लेता है, तो वह युद्ध बंद कर देंगे.
अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव (Azerbaijani President Aliyev) ने कहा कि अर्मेनियाई सेना ने उस इलाके पर कब्जा कर रखा है, जिसे वह 1990 के दशक में हार चुका है. अर्मेनिया जानबूझकर युद्ध भड़का रहा है. यदि अर्मेनियाई सेना तुरंत हमारे इलाके से पीछे हटती है, पूरी तरह से वापसी की समयसीमा बताती है और जो कुछ किया है उसके लिए माफी मांगती है तो हम युद्ध खत्म करने को तैयार हैं.
ये ही एकमात्र तरीका
अलीयेव ने कहा कि अर्मेनिया को अजरबैजान की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकारना होगा, यही युद्ध खत्म करने का एकमात्र तरीका है. उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को लागू करने और अजरबैजान के प्रभाव वाले क्षेत्रों से अर्मेनियाई सेना को वापस भेजने के लिए दबाव बनाने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय नाकाम रहा है.
स्पष्ट किये इरादे
अलीयेव के रुख से यह स्पष्ट है कि उनका रूस, अमेरिका और यूरोपीय संघ के युद्ध विराम के आग्रह को मानने का कोई इरादा नहीं है. वहीं, अलीयेव के भाषण के तुरंत बाद, अर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है. मंत्रालय का कहना है कि हमें कोई खतरा नहीं है, लेकिन फिर भी हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. इससे पहले, अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोलस पशिनियन (Armenian Prime Minister Nikol Pashinyan) ने भी साफ कर दिया था वह अजरबैजान के साथ वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं.
यह है सबसे बड़ा खतरा
अर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही एक-दूसरे पर युद्ध को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं. दोनों तरफ से नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है. इस युद्ध में रूस जैसी महाशक्तियों के शामिल होने के खतरे को देखते हुए दोनों से शांति के साथ विवाद के निपटारे की अपील की जा रही है. अमेरिका सहित कई देशों ने अर्मेनिया और अजरबैजान से युद्ध बंद करने के अपील की है. पिछले कई दिनों से जारी इस जंग में अब रूस, तुर्की, फ्रांस, ईरान और इजराइल के भी शामिल होने का खतरा बढ़ गया है.
यह है विवाद की जड़
आपको बता दें कि पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध की बड़ी वजह है नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र. इस क्षेत्र के पहाड़ी इलाके को अजरबैजान अपना बताता है, जबकि यहां अर्मेनिया का कब्जा है. 1994 में खत्म हुई लड़ाई के बाद से इस इलाके पर अर्मेनिया का कब्जा है. 2016 में भी दोनों देशों के बीच इसी इलाके को लेकर खूनी युद्ध हुआ था, जिसमें 200 लोग मारे गए थे. अब एक बार फिर से दोनों देश आमने-सामने हैं.