अवमानना के दोषी प्रशांत भूषण पर SC में आज अहम सुनवाई, माफी मांगने से कर चुके हैं इंकार


नई दिल्ली. आपराधिक अवमानना के दोषी वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी, जिसमें भूषण की सोमवार को कोर्ट में दाखिल स्टेटमेंट पर विचार किया जाएगा. बता दें कि वकील भूषण ने अपनी स्टेटमेंट में माफी मांगने से इनकार कर दिया है. प्रशांत भूषण ने कहा कि वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन माफी मांगना उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाले मामलों की सूची में वकील भूषण केस का फैसला लिस्टेड नहीं है. बल्कि सिर्फ सुनवाई का ही जिक्र है. इससे ये साफ हो जाता है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सजा का ऐलान नहीं करेगा.

मामला भूषण के 2020 में दो ट्वीट का है
वकील प्रशांत भूषण के अलावा उनके वकील राजीव धवन ने भी सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलीलें जमा करवाईं हैं, जिनमें कहा गया है कि ट्वीट तथ्य आधारित था. वह गलत मंशा से नहीं किया गया था. एटॉर्नी जनरल की भी यही राय है और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के कई पूर्व जजों ने भी ऐसी ही बात कही है. भूषण को माफी मांगने को बाध्य करना सही नहीं होगा. कोर्ट से दोषी ठहराने का आदेश वापस होना चाहिए. उन्हें सजा नहीं दी जानी चाहिए.

24 अगस्त तक मांग सकते थे माफी
गौरतलब है कि गुरुवार को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफीनामा दाखिल करने के लिए आज तक का समय दिया था. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के बाद आदेश में लिखा था कि, ‘हमने अवमानना के दोषी को बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया है. वह चाहे तो 24 अगस्त तक ऐसा कर सकता है. अगर माफीनामा जमा होता है, तो उस पर 25 अगस्त को विचार किया जाएगा’.

भूषण ने गांधी के बयान का दिया था हवाला
गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि न मुझे दया चाहिए, न मैं इसकी मांग कर रहा हूं. मैं कोई उदारता भी नहीं चाह रहा हूं, कोर्ट जो भी सजा देगी मैं उसे सहस्र लेने को तैयार हूं.

अटारनी जनरल ने सजा ना देने का किया आग्रह
अटारनी जनरल केके वेनुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से वकील प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना के लिए सजा न देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को दोषी ठहराया है, लेकिन सजा न दें. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मेरे पास सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की सूची है, जिन्होंने कहा था कि लोकतंत्र खतरे में है, जो भूषण ने भी कहा है. इसके अलावा मेरे पास 9 जजों की सूची है जिन्होंने कहा था कि न्यायपालिका के उच्चतर स्तर में भ्रष्टाचार है. यह मैंने खुद 1987 में कहा था, जिसपर जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि हम अभी मेरिट पर आपको नहीं सुन रहे हैं.

गुरुवार को सुनवाई में अटारनी जनरल की दलील से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर होने तक भूषण की सजा पर बहस टालने की मांग ठुकरा दी थी. इसके बाद दोषी वकील प्रशांत भूषण की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी गईं.

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