आजीविका अंगना : हाथ हुये हुनरमंद और सुधर गयी परिवार की आर्थिक स्थिति

बिलासपुर. खेतों में मजदूरी करने वाले हाथों ने हुनर क्या सीखा, परिवार की तस्वीर और तकदीर ही बदल गयी। गनियारी निवासी प्रीतिमा वस्त्रकार खेतों में मजदूरी करती थीं। मजदूरी में उन्हें बमुश्किल सौ रूपये दिन भर काम करने के बाद मिलते थे। उन्हें एक दिन किसी से गनियारी के आजीविका अंगना के बारे में पता चला। प्रीतिमा बतातीं है कि यहां आकर सैनेटरी पैड बनाने वाली यूनिट में उन्होंने ट्रैनिंग ली। ट्रैनिंग के बाद मात्र 4 घंटे में अकेले 50 से 70 पैकेट सैनेटरी पैड बना लेती हूं। एक पैकेट में 6 रूपये तक की बचत होती है। इससे करीब 3 सौ रूपये तक सिर्फ चार घंटे में कमा लेती हूं। यही रकम कमाने में खेतों में मजदूरी करते तीन लग जाते थे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 1 अगस्त को हरेली के दिन ग्राम गनियारी स्थित आजीविका अंगना का उद्घाटन किया था। जिसमें 6 सौ से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण और रोजगार पा रही हैं।

सैनेटरी पैड यूनिट की ट्रैनर सपना सराफ बताती हैं कि आजीविका अंगना में बन रहे सैनेटरी पैड बाजार में मल्टीनेशनल कंपनी की तुलना में बेहद सस्ते हैं। हम हाईजीन के लिये उच्च गुणवत्ता के रॉ मटेरियल का इस्तेमाल करते हैं। पैड में इस्तेमाल होने वाला रैपर भी बॉयोडीग्रेबल रहता है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता । उन्होंने बताया कि यूनिट में 30 महिलाएं दो शिफ्ट में काम कर रही हैं। एक घंटे में लगभग 10 हजार पीस तैयार हो जाते हैं। बाजार में उपलब्ध सैनेटरी पैड की तुलना में कीमत बहुत ही कम रखी गयी है। छह पीस के पैकेट की कीमत मात्र 27 रूपये रखी गयी है। जिससे महिलाओं को स्वयं की स्वच्छता के लिये ज्यादा कीमत ना देनी पड़े। हम लोग घर पहुंच सेवा भी उपलब्ध करा रहे हैं। जिसके लिये प्रति पैकेट सिर्फ 3 रूपये अतिरिक्त लेते हैं। हमारी कोशिश है कि यहां काम करने वाली महिलाएं आत्मनिर्भर बनें साथ ही आस-पास की महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी आए।

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