आयुर्वेद के अनुसार बरसात में दही खानी चाहिए या नहीं?
क्या बरसात में दही खाना शरीर को नुकसान पहुंचाता है? कोई कहता है बरसात में दही नहीं खानी चाहिए जबकि कोई कहता है कि मॉनसून में दही खाने से कोई परेशानी नहीं होती! यहां जानें आयुर्वेद के अनुसार कौन-सी बात कितनी सही है…
दही हमारे खाने का एक अभिन्न अंग है। गर्मी हो या सर्दी हम हर मौसम में दही का स्वाद और सेहत को होनेवाले इसके लाभ को इंजॉय करते हैं। लेकिन बरसात के मौसम में अक्सर यह बात सुनने को मिल जाती है कि इस सीजन में दही का उपयोग नहीं करना चाहिए? आइए, जानते हैं कि आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है और ऐसा क्यों कहा जाता है…
दही खानी है या नहीं खानी?
दो अलग-अलग पेथी के डॉक्टर्स बरसात में दही खाने या ना खाने को लेकर अलग-अलग राय दे सकते हैं। अच्छी बात यह है कि ये दोनों ही अपनी जगह पूरी तरही ठीक होते हैं। क्योंकि एलोपेथ के डॉक्टर्स आपको दही खाने की सलाह दे सकते हैं जबकि आयुर्वेद के डॉक्टर्स ऐसा ना करने के लिए कहेंगे।
क्यों है यह अंतर?
-दही को लेकर दो अलग-अलगे पेथी के चिकित्सकों के सुझाव में दिए गए इस अंतर को आप तभी मानें यदि आप उनसे इस मौसम में किसी तरह का ट्रीटमेंट ले रहे हैं। अन्यथा आयुर्वेद बरसात के मौसम में दही खाने के लिए पूरी तरह मना करता है। क्योंकि इस आदि चिकित्सा के अनुसार दही में अभिष्यंदी गुण होता है।
-आयुर्वेद की भाषा में अभिष्यंदी उस खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद होनेवाली स्थिति को कहते हैं, जिसमें शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। यह स्थिति कई तरह की शारीरिक समस्याओं को बढ़ानेवाली होती है। इसमें गले में खराश होना, गले में कफ जमा होना और शरीर के जोड़ों में दर्द होना या किसी पुराने दर्द का अचानक उभर आना शामिल है।
क्या गले में होता है ऐसा?
-यदि बारिश के मौसम में दही खाने के बाद आपके गले में भी खराश और कफ अटकने जैसा अनुभव होता है तो समझ जाइए कि दही खाना आपके शरीर को रास नहीं आया है। अगर आप शरीर के इस संकेत को अनदेखा करते हुए आगे भी दही का सेवन करते रहेंगे तो आपको शरीर में तेज दर्द, पाचन में दिक्कत या बुखार जैसी स्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है।
-जब शरीर के सूक्ष्म छिद्र बंद हो जाते हैं, उस स्थिति में शरीर में भारीपन और जकड़न की समस्या होने लगती है। लगातार थकान बनी रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है। वहीं कुछ लोगों को पेट में दर्द या गैस बनने की शिकायत भी हो सकती है।
इस उलझन से बचें
–आपके मन में यह दुविधा हो सकती है कि दही खाने के बाद तो पाचन ठीक होता, ऐसे में दही खाने से पाचन खराब कैसे हो सकता है और पेट में गैस कैसे बन सकती है? दरअसल, आप अपनी जगह बिल्कुल सही हैं कि दही पेट और पाचनतंत्र में सुधार करती है। लेकिन जैसा कि हमने आपको बताया कि यदि आप बरसात के मौसम में दही खाते हैं तो इससे शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। त्वचा को सांस लेने में मुश्किल होती है, शरीर में वायु का प्रवाह बाधित होता है। इस कारण शरीर को लाभ पहुंचानेवाली दही भी समस्या की वजह बन जाती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
-पिछले 40 वर्षों से आयुर्वेदिक पद्धति के माध्यम से रोगों का निदान करनेवाले आयुर्वेदाचार्य वैद्य सुरेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि बरसात के मौसम में दही के सेवन की सलाह आयुर्वेद में नहीं दी गई है। लेकिन अलग-अलग पेथी के चिकित्सक अपनी पद्धति के अनुसार, इस मौसम में दही खाने या ना खाने की सलाह दे सकते हैं। हम सिर्फ आयुर्वेद की बात करेंगे और इसके अनुसार बरसात के मौसम में दही खाने से बचना चाहिए।