आरआई, पटवारी और सहायकों की काली कमाई पर पर्दा डाल रहा जिला प्रशासन

बिलासपुर. राजस्व विभाग दलालों को पालने वाला विभाग बन गया है। यहां खुलकर सौदेबाजी की जाती है, आये दिन पैसों के लेनदेन को लेकर न्यायालय में विवाद होना आम बात है। नजूल न्यायालय और तहसील कार्यालय में आरआई, पटवारी और सहायकों को हिस्सा देने के बाद तहसीलदार को मोटी राशि देना पड़ता है। राज्य का खुफिया महकमा और एंटीकरप्शन ब्यूरो के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं जिसके चलते भूपेश बघेल सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। नजूल न्यायालय में पदस्थ आरआई परमेश्वर साहू द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
दलाल और रिटायर्ड कर्मचारियों का न्यायालय परिसर में मजमा लगा रहता है। खुलेआम रिश्वतखोरी करने वालों पर जिला प्रशासन के आला अधिकारी मेहरबान हैं। आरआई परमेश्वर साहू तो अधिकारी के सामने ही रिश्वत मांगते हैं, खुलेआम रिश्वतखोरी के कारण बिलासपुर का नजूल न्यायालय पूरे प्रदेश में चर्चित हो रहा है। ऐसे बेइमान अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण न्यायालय की गरिमा तार-तार हो रही है।
तहसील कार्यालय बिलासपुर में पदस्थ आरआई कमलकिशोर कौशिक कालोनाइजरों से मिलकर अवैध प्लाटिंग करवा रहे हैं, नक्शे में हेरफेर करने के नाम पर आरआई कौशिक का नाम सबसे पहले लिया जा रहा है। तहसीलदार और एसडीएम के साये में तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। रिटायर्ड कर्मचारियों के अलावा यहां दलालों का मजमा लगा रहता है।
तहसील में चल रहे उल्टे-सीधे काम के कारण कई लोग आहत हो रहे है उन्हें आर्थिक परेशानी के साथ मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। पटवारी और उनके सहायक भी माल बटोरने में पीछे नहीं है। सरकारी जमीन का सीमांकन करने तथा अवैध प्लाटिंग करने के लिए पटवारी और सहायक सीधे तौर पर मोटी राशि मांगते हैं। भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके राजस्व विभाग पर नियंत्रण बनाने राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सकरी में आरआई ने खरीदा 50 लाख का मकान
मालामाल हो चुके एक आरआई के अगर संपत्ति की जांच की जाये तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। सकरी स्थित रामा सिटी में उन्होंने 50 लाख रुपए में कीमती मकान खरीदा है एवं स्वयं के चलने के लिए उन्होंने 35 लाख रुपए की फारर्चून कार भी खरीद ली है। इनकी संपत्ति की अगर गहराई से जांच की गई तो कई बेनामी और नामी संपत्ति उजागर होंगे। गौरतलब हो कि शासन द्वारा दिए जाने वाले मासिक वेतन से आरआई व पटवारी आसानी से अपनी जीविका चला सकते हैं, लेकिन रिश्वत का मोह इनसे भंग नहीं हो रहा है और इसी की चाह में ये सरकारी जमीनों की बंदरबांट कर अपने दामन को दागदार कर रहे हैं।