‘इस्लामिक आतंक’ के खिलाफ फ्रांस का महायुद्ध शुरू, इन बड़ी महाशक्तियों का मिला साथ


पेरिस. क्या इस्लामिक आतंकवाद (Islamic Terror) के मुद्दे पर दुनिया दो ध्रुवों में बंटती जा रही है? पेरिस में टीचर का सिर धड़ से अलग करने पर जहां फ्रांस (France) में इस्लामिक कट्टरवादियों पर कार्रवाई हो रही है. वहीं फ्रांस की इन कार्रवाइयों के विरोध में मुस्लिम देशों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी बीच इस्लामिक आतंकवाद के मुद्दे पर फ्रांस को भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी बड़ी महाशक्तियों का साथ मिला है. जिससे इस मुद्दे पर आगे टकराव तेज होने की आशंका बढ़ गई है.

मुसलमानों को फ्रांस के लोगों की हत्या का हक: महातिर मोहम्मद
फ्रांस के खिलाफ आग उगलते हुए मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री और कट्टर मुस्लिम नेता महातिर मोहम्मद ने एक के बाद एक ट्वीट करके अपनी भड़ास निकाली. महातिर मोहम्ममद ने भड़काऊ ट्वीट करके लिखा, ‘हालांकि, धर्म से परे, गुस्साए लोग हत्या करते हैं. फ्रांस ने अपने इतिहास में लाखों लोगों की हत्या की है जिनमें से कई मुस्लिम थे. मुस्लिमों को गुस्सा होने और इतिहास में किए गए नरसंहारों के लिए फ्रांस के लाखों लोगों की हत्या करने का हक है.’

ट्विटर ने डिलीट किया ट्वीट 
ट्विटर ने महातिर के इस ट्वीट को नियमों का उल्लंघन बताते हुए डिलीट कर दिया. इसके बाद महातिर मोहम्मद ने फिर बदलकर नया ट्वीट ट्वीट किया. महातिर ने कहा, ‘अभी तक मुस्लिमों ने आंख के बदले आंख करना शुरू नहीं किया है. मुस्लिम ऐसा नहीं करते हैं और फ्रांसीसियों को नहीं करना चाहिए. फ्रांसीसियों को अपने लोगों को दूसरे लोगों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए.’

इमरान ने भी फ्रांस को बनाया निशाना
मलेशिया के पूर्व पीएम के साथ ही पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने फ्रांस में इस्लाम के नाम पर हो रही हिंसा को जायज ठहराने वाले बयान जारी किए हैं. इमरान खान ने कहा, ‘मुसलमान जब देख रहे हैं कि उनके विश्वास और सबसे अजीज पैगंबर मोहम्मद साहब को निशाना बनाकर मुस्लिम समुदाय के साथ सरकारों की ओर से भेदभाव किया जा रहा है. उनको प्रभावहीन बनाया जा रहा है तो उनकी ओर से क्रोध में ऐसे घातक कदम उठाए जा रहे हैं जो दक्षिणपंथी ताकतों को हालात भडक़ाने में सहायता कर रहे हैं.’

तुर्की के राष्ट्रपति ने की मुसलमानों को भड़काने की शुरुआत 
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने खिलाफ दुनिया भर के मुस्लिम देशों को भड़काने की शुरूआत करते हुए कहा था, ‘मैं अपने सभी नागरिकों और दुनिया भर के मुसलमानों का आह्वान कर रहा हूं. जैसे वे कहते हैं कि फ्रांस में ‘तुर्की के ब्रांडों की खरीद मत करो’, मैं यहां से अपने सभी नागरिकों को फ्रांसीसी ब्रांडों की मदद करने या उन्हें नहीं खरीदने की अपील कर रहा हूं.’

इस्लामिक आतंक के खिलाफ फ्रांस झुकने को तैयार नहीं
इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई का चेहरा बन चुके फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (Emmanuel Macron) दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन और देश पर हो रहे आतंकवादी हमलों के बावजूद झुकने को तैयार नहीं है. राष्ट्रपति मैक्रों की अगुवाई में फ्रांस अब इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने को तैयार है. मैक्रों ने साफ किया है कि फ्रांस इस्लामिक आतंकी हमले के बाद भी फ्रांस अपने मूल्यों को छोड़ेगा नहीं.

हम मजबूती के साथ खड़े रहेंगे: मैक्रों
मैक्रों ने कहा,’मैं यहां, सबसे पहले फ्रांस और अन्य जगहों पर कैथोलिक आबादी के लिए राष्ट्र का समर्थन व्यक्त करना चाहता हूं. 2016 की गर्मियों में फादर जैक्स हेमेल की हत्या के बाद, एक बार फिर से कैथोलिकों को निशाना बनाया गया है.  पूरा देश उनके पक्ष में खड़ा है. हम मजबूती से साथ खड़े रहेंगे ताकि हमारे देश में धर्म का स्वतंत्र रूप से अभ्यास किया जा सके.’

नीस में फिर हुआ आतंकी हमला
इसी बीच पेरिस में टीचर की गला काटकर हत्या के बाद फ्रांस के नीस के नीस शहर में एक बार फिर इस्लामिक आतंकी हमला हुआ. हाथ में कुरान और चाकू लिए एक कट्टरवादी ने पहले मजहबी नारे लगाए. उसके बाद चाकू से लोगों पर हमला बोल दिया. वारदात में 3 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. तीन लोगों की हत्या करने वाला आरोपी इसी साल सितंबर के आखिर में ट्यूनिया से आया था और उसकी उम्र सिर्फ 21 साल है.

हमारा देश फिर इस्लामी आतंक का शिकार हुआ: मैक्रों
इस घटना के बाद राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने कहा, ‘सर और मैडम एक बार फिर से हमारा देश इस्लामी आतंकवाद का शिकार हुआ है. इस सुबह एक बार फिर से हमारे तीन हमवतनों की नीस में हत्या कर दी गई. यह स्पष्ट रूप से फ्रांस पर हमला किया गया है. जिस समय हम फ्रांस में गिरफ्तारियां कर रहे थे, उसी दौरान हमने जेद्दा में सऊदी अरब में फ्रांसीसी कांसुलर सेक्शन पर हमला देखा है.’

फ्रांस ने स्कूलों और धार्मिक स्थानों पर बढ़ाए सैनिक
नीस में इस आतंकी हमले के बाद फ्रांस ने इस्लामिक आतंक पर अपना रूख और सख्त कर लिया है.  राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने देश में सुरक्षा का स्तर बढ़ाने और इस्लामिक आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का आदेश दिया है. राष्ट्रपति के आदेश के बाद अब फ्रांस के प्रमुख स्थानों पर सैनिकों की तैनाती की जाएगी. इन स्थानों में स्कूल और धार्मिक स्थान शामिल रहेंगे. इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा के लिए तैनात सैनिकों की संख्या भी 3 से बढ़ाकर 7 हजार की जाएगी.

भारत ने किया फ्रांस का समर्थन
इसी बीच इस्लामिक आतंक के खिलाफ फ्रांस को भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी बड़ी महाशक्तियों का साथ मिला है. पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा, ‘मैं आज नीस में चर्च के भीतर हुए नृशंस हमले समेत फ्रांस में हुए हालिया आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करता हूं. पीड़ितों के परिवार वालों और फ्रांस के लोगों के साथ हमारी संवेदना. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ है.’

हमारा दिल फ्रांस के लोगों के साथ: ट्रंप
भारत के प्रधानमंत्री के सा​थ ही अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की है. ट्रंप ने कहा, ‘ हमारा दिल फ्रांस के लोगों के साथ है. अमेरिका इस लड़ाई में हमारे सबसे पुराने सहयोगी के साथ खड़ा है. इन कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवादी हमलों को तुरंत रोकना चाहिए. कोई भी देश, फ्रांस या कोई और लंबे समय तक नहीं रख सकता है.’

यूरोपीय संघ भी फ्रांस के साथ आया
वहीं 27 यूरोपीय देशों के शक्तिशाली संगठन यूरोपीय संघ ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ फ्रांस का समर्थन करते हुए बयान जारी किया है. यूरोपीय संघ ने कहा कि इन बर्बर आतंकी हमलों के खिलाफ वह फ्रांस की जनता और सरकार के साथ खड़ा है. आतंकवाद और हिंसात्मक अतिवाद के खिलाफ फ्रांस की इस लड़ाई में वह उसके साथ है. यूरोपीय संघ ने कहा कि आपसी मतभेद बढ़ाने के बजाय दुनिया के देश सामने आकर इस समस्या का हल ढूंढने में सहयोग करें.

महाशक्तियों का साथ मिलने से फ्रांस की बढ़ेगी ताकत
इस्लामिक कट्टरता पर मुस्लिम देशों के विरोध के बीच फ्रांस को अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ का साथ मिलना अहम माना जा रहा है. इन शक्तियों का खुला समर्थन मिलने से फ्रांस के अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने में मदद मिलेगी. अब वह अपनी सरजमीं पर बेस बना चुके आतंकियों और उनके समर्थकों को ढूंढकर कड़ी कार्रवाई कर सकेगा. फ्रांस से पहले अमेरिका और
भारत भी आतंकवाद के खिलाफ़ युद्ध का ऐलान कर चुके हैं.

भारत ऐसे लेगा तुर्की-पाकिस्तान, महातिर मोहम्मद से बदला
भारत ने अलगाववाद को खत्म करने के लिए जब आर्टिकल 370 हटाया गया तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तैयप एर्दोगान और मलेशिया के तत्कालीन पीएम महातिर मोहम्मद ने इसका यूएन में विरोध किया. जबकि सारी दुनिया ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया था. ऐसे में आतंकी हमले के बाद फ्रांस का समर्थन करके भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान, तुर्की और महातिर मोहम्मद की तिकड़ी को धूल चटाने का इंतजाम कर लिया है.

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