ईरान पर जोरदार हमला करने वाला था अमेरिका, लेकिन ट्रंप ने इस डर से पीछे खींच लिए कदम
वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने पिछले सप्ताह ईरान पर जोरदार हमला (Attack on Iran) करने का फैसला ले लिया था. ये हमला ईरान के परमाणु ठिकानों (Nuclear Reactors) पर होने वाला था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया और फिर ट्रंप ने भी ये बात समझी कि अगर ये हमला एक बड़े और लंबे युद्ध में बदल जाएगा तो अमेरिका को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं. इसी एक डर ने डोनाल्ड ट्रंप को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया.
ईरान को लेकर शुरू से आक्रामक रहे हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप जब चार साल पहले राष्ट्रपति बने थे, उससे पहले से ही वो ईरान को लेकर आक्रामक मूड में रहते थे. ट्रंप ने वादा किया था कि वो सत्ता में आएंगे तो ईरान से परमाणु समझौते को खत्म कर देंगे, जो उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा (Barak Obama) ने ईरान के साथ किया था. ट्रंप ने ऐसा किया भी था, और वो अमेरिका को ईरान के साथ हुई परमाणु डील से बाहर भी लाए थे. और जब उन्हें पिछले सप्ताह ये पता चला कि ईरान परमाणु डील के विपरीत जाकर बड़े पैमाने पर यूरेनियम (Uranium) का संवर्धन कर रहा हा, तो वे ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के लिए तैयार हो गए थे.
बैठक में सहयोगियों के समझाने पर माने ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले का पूरा मन बना लिया था. इस बात पर शीर्ष सहयोगियों के साथ आम सहमति बनाने के लिए जब बैठक हुई, तो उन्हें ये अहसास हुआ कि अगर ये हमला युद्ध में तब्दील हो जाता है तो ये बेहद घातक होगा. इस बैठक में उप राष्ट्रपति मानक पेंस (Vice President Mike Pence), कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर (Acting Defence Secretary Christopher Miller) और सैन्य प्रमुख जनरल मार्क मिली (General Mark Milley, chairman of the Joint Chiefs of Staff) भी मौजूद थे. बैठक में मौजूद ट्रंप के शीर्ष सहयोगियों ने कहा कि अमेरिका के इस हमले की वजह से अमेरिका लंबे युद्ध में फंस सकता है. ऐसे में अमेरिका को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिसके बाद ट्रंप ने अपने कदम पीछे खींच लिए.
एक साल पहले भी ईरान पर हमले का बनाया था मन
इस साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर बगदाद एयरपोर्ट पर अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी जनरल कासिम सोलेमेनी (Iranian military General Qassem Soleimani) की जान चली गई थी. कासिम की हत्या के बाद ईरान ने अमेरिका के खिलाफ आक्रामक जवाबी कार्रवाई की थी, जिसमें अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमले से लेकर अमेरिका ड्रोन को मार गिराना भी शामिल रहा. उस समय भी इस बात की संभावना लगभग बन गई थी कि अमेरिका और ईरान युद्ध में उलझने वाले हैं. तब भी अमेरिका ने ईरान पर हवाई हमले की योजना बना ली थी और इस बारे में आदेश भी दे दिया था. लेकिन हमले से ठीक 10 मिनट पहले उन्होंने अपने आदेश को वापस ले लिया था.
डोनाल्ड ट्रंप क्यों करना चाहते थे हमला?
ईरान ने अमेरिका के परमाणु डील से निकलने के बाद अपने कम संवर्धित यूरेनियम के भंडार को 2.4 टन तक बढ़ा लिया है. ये 2.028 क्विंटल की सीमा से 10 गुना से भी ज्यादा है. इस बारे में यूएन की संस्था इंटरनेशनल अटॉमिक एनर्जी एजेंसी (International Atomic Energy Agency) ने पिछले सप्ताह ही खबर दी है. जिसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमले का मन बनाया था.