उपचार का अभाव : खुले आसमान के नीचे दम तोड़ रहे घायल मवेशी


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. आवारा मवेशियों की धरपकड़ कर रखरखाव के लिए कांजी हाउस बनाया गया है। वहीं राज्य सरकार द्वारा लाखों रपए के गोबर खरीदी की जा रही है। पशुधन के नारे लगाये जा रहे है लेकिन बेजुबान मवेशियों का दर्द कोई समझने तैयार नहीं है। पशुओं के उपचार के लिए पशुपालन विभाग द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है। सड़क हादसों में घायल मवेशी मौके पर ही दम तोड़ दे रहे है। उनके उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गौ सेवा के नाम पर लाखों रुपए फूंके जा रहे हैं वहीं शासन द्वारा रोका-छेका अभियान चलाकर मवेशियों की सुरक्षा की जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। मोपका स्थित गोठान के बाहर बीमार गाय खुले आसमान में सड़क पर तड़पती रही।

सरकारी गोठानों का हाल सभी जानते हैं, जिले में मवेशियों की हुए मौतों ने सब कुछ हिला रख दिया है इसके बावजूद राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारी अवारा मवेशियों पर नियंत्रण नहीं लगा पा रहे हैं न ही उनका उपचार किया जा रहा है। केवल कागजों में खेलने वाले पशुपालन विभाग के आला अधिकार जिम्मेदारी से कोसो दूर हैं न ही शासन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है। एक ओर गाय हमारी माता है का नारा दिया जाता है तो दूसरी ओर उसकी दुर्दशा पर मरहम तक नहीं लगाया जाता। नगर निगम बिलासपुर द्वारा लोगों के पालतू गायों को सड़क से पकड़ लिया जाता है और फिर से छोडऩे के नाम पर वसूली की जाती है।

सांड और बछड़ो को निगम द्वारा नहीं पकड़ा जाता जिसके चलते आये दिन हादसे भी होते हैं। पेट में बच्चा होने के बाद भी गायों को निगम कर्मी पकड़कर कांजी हाउस में छोड़ आते हैं। कई बार लोगों ने यह भी अरोप लगाया है कि निगम कर्मियों ने हमारी गाय पकड़ी थी जो कांजी हाउस में नहीं है। इतना गंभीर आरोप लगने के बाद भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सरकारी गोठान के बाहर बीमार पड़ी गाय को खुले मैदान में मौत के मुंह छोड़ा जाना सरकार के लिए चुनौती बन चुका है। इसी तरह पशुपालन विभाग के आला अधिकारी सड़कों में पड़े घायल-बीमार मवेशियों का उपचार नहीं करते। सब कुछ राम भरोसे चल रहा है। सांड और बछड़ों की धर पकड़ इसलिए नहीं की जाती कि उसे छुड़ाने कोई नहीं आयेगा। पालतू गायों को आवारा मवेशी दर्ज कर निगम द्वारा की जा रही कार्रवाई की घोर निंदा हो रही है।

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