उपचुनाव में न्यायाधीश बनी मरवाही की जनता, आज करेगी फैसला सुरक्षित

अनिश गंधर्व/बिलासपुर. दो डॉक्टरों की नैया में सवार होकर मरवाही में जन समर्थन मांग रहे भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की परीक्षा की घड़ी आ चुकी है। प्रत्याशी के साथ-साथ दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की साख दांव पर है। 20 सालों में भाजपा ने मरवाही से एक बार भी चुनाव नहीं जीता । आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के मतदाताओं ने शुरू से कांग्रेस को अपना मतदान दिया है। 15 सालों के भाजपा शासन काल में जितना विकास मरवाही का नहीं हुआ था उससे कई गुना अधिक 22 महिनों के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर दिखाया है। कांग्रेस पार्टी मरवाही उपचुनाव विकास के मुद्दों पर लडऩे जा रही है । मुख्यमंत्री ने अपना वादा पूरा करते हुए गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिला बनाने में देरी नहीं की, वे स्वयं तीन दिवसीय प्रचार-प्रसार कर मरवाही की जनता से वोट मांगा है। अब देखना यह है कि मरवाही में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा?
मरवाही उपचुनाव में सबसे बड़ा मोड़ उस वक्त आया जब निर्वाचन अधिकारी ने जोगी परिवार को गैर आदिवासी करार देते हुए नामांकन रद्द कर दिया। जोगी परिवार का मरवाही में 20 वर्षों से कब्जा रहा है। जनता कांग्रेस पार्टी के संस्थापक स्व. अजीत जोगी यहां के जमीनी नेता रहे, उन्होंने अपनी अगल पार्टी बनाकर 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। मरवाही की जनता ने उन्हें स्वीकार भी किया। स्व. जोगी के निधन के बाद मरवाही सीट खाली हो गई थी। उपचुनाव में स्व. जोगी का परिवार शुरू से सक्रिय रहा। जाति प्रमाण पत्र मामले में जोगी परिवार का नामांकन रद्द कर दिया गया।
अब जोगी परिवार चुनाव मैदान से बाहर है, वैसे यहां त्रिकोणीय मुकाबला होना था। भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला शेष है। जोगी परिवार ने कांग्रेसी नेताओं पर आरोप लगाया कि स्व. जोगी को ढोंगी-पाखंड़ी कहा जा रहा है, जिसे जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। जोगी परिवार ने इस चुनाव में कांग्रेस का विरोध करते हुए भाजपा को समर्थन दिया है। इधर मरवाही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रत्याशी के साथ साथ पार्टी नेताओं की सांख दांव पर है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि चुनाव कोई भी हो महत्वपूर्ण होता है, कांग्रेस पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रही है। मरवाही की जनता हमारी न्यायधीश है। पूरे प्रदेश में मरवाही अभी सुर्खियों में है। आरोप-प्रत्यारोप के साथ साथ दलबदल का भी प्रयोग इस चुनाव में किया गया। भाजपा के दिग्गजों नेताओं ने मरवाही में अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। फैसला अब जनता के हाथों में है, ऊंट किस करवट बैठेगा कहना मुश्किल है पर एक बात साफ है जीतने वालों को वाहवाही और हारने वालों की जमकर किरकिरी होने वाली है।