एक अंतिम संस्कार ने कैसे अमेरिका को ‘तबाह’ करके रख दिया, मदद मांगने पर मजबूर


न्यूयॉर्क. फरवरी के अंत में, जब अमेरिका (America) ने सोचा कि उसने अपने आप को पूरी तरह से सील कर दिया है और कोरोना वायरस (Coronavirus) उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा. ठीक उसी समय अमेरिका के किसी कोने में एक ऐसी घटना घटी जो सुपर पावर के सभी तैयारियों को मिट्टी में मिलाने के लिए काफी थी.

दरअसल, शिकागो का रहने वाला एक शख्स अपने एक पारिवारिक मित्र के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था. 3 दिन बाद उसके घर में जन्मदिन की पार्टी थी, और इसके बाद सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बुधवार को कहा कि वह व्यक्ति अनजाने में ही इस बीमारी का वाहक बन गया. दरअसल ये वो व्यक्ति था, जिसे पता नहीं था कि उसे कोविड-19 बीमारी थी. उसने ऐसी चेन बनाई जिससे 15 अन्य लोग संक्रमित हो गए, जिनमें से 3 की मौत हो चुकी है.

कोरोना का संक्रमण फैलने के बावजूद शिकागो में 21 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई थी. जबकि दुनिया के ज्यादातर देश ऐसा कर चुके थे. तेज संक्रमण की इस घटना पर सीडीसी ने कहा कि ये मामला एक उदाहरण है कि सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है.

बताया जा रहा है कि उस व्यक्त (इंडेक्स मरीज) ने अंतिम संस्कार में शामिल होने से एक रात पहले परिवार के दो सदस्यों के साथ एक ही प्लेट में खाना खाया था. 2 से 6 दिनों के अंदर ही 3 लोगों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई देने लगे. इनमें से एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था और करीब एक महीने बाद उसकी मौत हो गई थी. जबकि बाकी 2 इलाज के बाद ठीक हो गए थे.

जिस रोगी की मौत हुई, उसका आईसीयू में इलाज चल रहा था. उनके परिवार का एक अन्य सदस्य उनसे मिलने आता था, जो अंतिम संस्कार के समय इंडेक्स मरीज के संपर्क में था. इस व्यक्ति ने सुरक्षात्मक गियर नहीं पहने थे. वह भी कोरोना की चपेट में आ गया. हालांकि इलाज के बाद वह ठीक हो गया था.

सीडीसी ने कहा कि इस उदाहरण के जरिए ये समझा जा सकता है कि कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग कितना अहम है. मरीज अनजाने में ही अपने आस-पास के लोगों को बीमार कर देता है और इनमें से कइयों की जान चली जाती है.

‘पारिवारिक समारोह (जन्मदिन की पार्टी, अंतिम संस्कार और चर्च में जाना), जो भी सोशल डिस्टेंसिंग पॉलिसी लागू करने से पहले हुए थे.  ये सभी कोरोना वायरस के संक्रमण का कारण बने. ये कहानी साफ तौर पर बताती है कि ये वायरस कितना संक्रामक है. वैज्ञानिक अभी भी बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कैसे फैलता है.

महामारी की शुरुआत में ये कहा गया था कि यह फ्लू की तुलना में अधिक और खसरे से कम संक्रामक है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ये खसरे की तरह ही या इससे भी अधिक संक्रामक हो सकता है.

खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदें जो किसी व्यक्ति पर सीधे गिरती हैं या दूषित सतहों को छूने से आती हैं, उन्हें मुख्य चालक माना जाता था, लेकिन नई जानकारी ये बताती है कि संक्रमित व्यक्ति का सांस लेना और बोलना भी संक्रमण के लिए काफी है

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