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जिला नोडल अधिकारी बनाये गये सहायक खाद्य अधिकारी राजेश शर्मा :  खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के लिये राजेश शर्मा सहायक खाद्य अधिकारी को बिलासपुर जिले का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। शर्मा का मोबाईल नंबर 9826950538 है। इसी तरह श्री ओंकार सिंह ठाकुर खाद्य निरीक्षक को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनका मोबाईल

किसान खुद टेस्ट कर सकते हैं उर्वरकों की गुणवत्ता सीएफसीएल ने उर्वरक की शुद्धता की जांच का बताया आसान तरीका : किसान अब सहजता से रासायनिक उर्वरकों की गुणवत्ता का परीक्षण खुद कर सकते हैं। भारत सरकार के सेंट्रल फर्टिलाईजर क्वालिटी कंट्रोल टेस्टिंग इंस्टीट्यूट फरीदाबाद द्वारा रासायनिक उर्वरकों में मिलावट की जांच के लिये बहुत ही आसान तरीका बताया गया है। जिसके जरिए कृषक रासायनिक उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच त्वरित रूप से कर सकते हैं। रासायनिक उर्वरक यूरिया में साधारण नमक, म्यूरेट आॅफ पोटाश, एस.एस.पी., राॅक फास्फेट, चिकनी मिट्टी आदि का अंदेशा रहता है। इसी तरह डीएपी में क्ले मिट्टी, जिप्सम की गोलियां तथा एसएसपी, एमओपी उर्वरकों में बालू एवं साधारण नमक, उर्वरक एनपीके में एसएसपी, राॅक फाॅस्फेट, एनपीके मिश्रण, जिंक सल्फेट में मैग्नीशियम सल्फेट तथा कापर सल्फेट उर्वरक में बालू व साधारण नमक की मिलावट की अंदेशा रहता है। इसकी जांच कृषक सीएफसीएल द्वारा विकसित विधि से स्वयं कर सकते हैं। उप संचालक कृषि बिलासपुर ने बताया कि शुद्ध यूरिया चमकदार, लगभग समान आकार के दाने वाला, पानी में पूर्णतः घुलनशील होता है। शुद्ध यूरिया को पानी घोलकर छूने पर ठंडेपन का एहसास होता है। गर्म तवे पर रखने पर यह पूरी तरह पिघल जाता है और आंच तेज करने पर कोई अवशेष नही बचता। इसकी शुद्धता के परीक्षण का सबसे आसान तरीका यह है कि थोड़ा सा पानी हथेली पर ले, दो मिनट बाद जब हथेली और पानी का तापमान एक समान हो जाए तो उसमें 10-15 दाने यूरिया के डाले। शुद्ध यूरिया पानी में पूरी तरह घुलकर हथेली को ठण्डक प्रदान करेगा। यदि ठण्डक महसूस न हो तो यूरिया मिलावट है। यूरिया के परीक्षण का दूसरा तरीका यह है कि एक चम्मच यूरिया घोल में आधा मिलीलीटर बेरियम क्लोराईड मिलाने पर शुद्ध यूरिया का घोल स्वच्छ होगा। यदि सफेद अवक्षेप मिलता है तो यूरिया मिलावटी है। इसी तरह शुद्ध डीएपी के दाने का आकार एकदम गोल नहीं होता, डीएपी के दानों को गर्म करने या जलाने पर दाने फूलकर साबुनदाने की भांति लगभग दोगुने आकार के हो जाए तो वह शुद्ध होगा। डीएपी के दानों को लेकर फर्श पर रखें फिर जूते से ताकत से रगड़े। शुद्ध डीएपी के दाने आसानी से नहीं फूटेंगे। यदि दाने आसानी से टूट जाए तो डीएपी में मिलावट है। डीएपी में नाइट्रोजन की जांच के लिये एक ग्राम पीसे हुए डीएपी चूर्ण में चूना मिलाकर सूंघने पर अमोनिया की गंध आए तो उसमें नाईट्रोजन विद्यमान है। यदि अमोनिया की गंध महसूस न हो तो डीएपी मिलावटी है। इसी तरह सिंगल सुपर फास्फेट के शुद्धता की जांच के लिये उसके एक दाने को हथेली पर रगड़ने से टूट जाए तो वह शुद्ध है। शुद्ध जिंक सल्फेट पानी में घुलनशील होता  है, लेकिन इसका घोल यूरिया, पोटाश के घोल की तरह ठण्डा नहीं होता तो वह शुद्ध है। डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट के घोल को मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है।
कलेक्टर डाॅ.संजय अलंग के निर्देशानुसार बिलासपुर जिले में डबल लाॅक, सिंगल लाॅक सेंटरों में भण्डारित उर्वरकों के कृषकों के विक्रय पूर्ण गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके पालन में कृषि विभाग के उप संचालक कृषि श्री शशांक शिंदे द्वारा 70 उर्वरकों के नमूना लिया गया है। अभी तक 4 नमूनों का परिणाम प्राप्त हुआ सभी मानक स्तर के हैं। 57 धान बीज एवं 3 ढेंचा का नमूना कुल 60 नमूना प्रयोगशाला भेजा गया जिसमें से 10 नमूनों का परिणाम प्राप्त हुआ है। सभी मानक स्तर के हैं। दवाई के दो नमूने प्रयोगशाला भेजे गए हैं जिनका परिणाम मानक स्तर का पाया गया है।

उच्च वर्ग शिक्षक, प्रधान पाठक प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला की वरिष्ठता सूची प्रकाशित :  जिले के स्कूलों में कार्यरत उच्च वर्ग शिक्षक, प्रधान पाठक प्राथमिक शाला एवं पूर्व माध्यमिक शाला (स्नातकोत्तर एवं प्रशिक्षित) ई संवर्ग की अंतरिम वरिष्ठता सूची का प्रकाशन स्कूल शिक्षा विभाग एवं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के वेबसाईट कमवइपसंेचनतण्ूमइेण्बवउ में 1 अप्रैल 2020 की स्थिति में कर दिया गया है। यदि उक्त वरिष्ठता सूची में किसी उच्च वर्ग शिक्षक, प्रधान पाठक प्राथमिक शाला एवं पूर्व माध्यमिक शाला की दी गई जानकारी त्रुटिपूर्ण हो तो निर्धारित प्रपत्र में उचित माध्यम से दावा आपत्ति जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर कार्यालय में कर सकते हैं।

पशुओं के ऊपर भार ढोना या सवारी करना प्रतिबंधित रहेगा 30 जून तक : कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी तथा जिला पशु कू्ररता निवारण समिति बिलासपुर के अध्यक्ष डाॅ.संजय अलंग द्वारा पशुओं के प्रति कू्ररता का निवारण परिवहन एवं कृषक पशुओं पर पशु कू्ररता अधिनियम 1965 के नियम 6(3) के अनुसार बिलासपुर जिले के सीमा अंतर्गत पशुओं की सहायता से चलने वाले सभी साधन जिसमें भार ढोने या सवारी परिवहन का कार्य किया जाता है इनको 30 जून 2020 तक दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक प्रतिबंधित किया गया है। बिलासपुर जिले में माह मई के आगामी दिनों में व जून माह में दोपहर 12 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक वातावरण में तापमान 37 डिग्री सेंट्रीग्रेट से अधिक रहने की संभावना बनी हुई है। इस दौरान भारवाहक पशुओं पर सामग्री रखकर या सवारी परिवहन करने से पशु बीमार हो सकते हैं अथवा उनकी मृत्यु हो सकती है। इसको देखते हुए पशुओं से भारवाहन या सवारी परिवहन प्रतिबंधित किया गया है।

नमक के दुरूपयोग अथवा व्यपवर्तन पर होगी दण्डात्मक कार्यवाही :  सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत जारी किये गये सामान्य एपीएल राशनकार्डधारकों को 1 जून 2020 से 10 रूपये प्रति किलो की दर से अधिकतम 2 किलो नमक प्रति राशनकार्ड प्रति माह दिया जाएगा। राशन दुकानदारों द्वारा नमक के व्यपवर्तन अथवा दुरूपयोग अथवा निर्देशों के उल्लंघन की स्थिति में संबंधितों के विरूद्ध तत्काल छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेष 2016 के अंतर्गत आवश्यक दण्डनात्मक कार्यवाही की जायेगी।   खाद्य संचालनालय द्वारा वर्तमान में प्रचलित सामान्य एपीएल राशनकार्डों की संख्या के अनुसार नमक का जून 2020 हेतु जिलेवार एवं दुकानदार आबंटन जारी किया गया है। कलेक्टर द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से इस नमक का आबंटन समस्त शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में 1 जून के पूर्व भण्डारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि एपीएल राशनकार्डधारियों को 1 जून 2020 से टेबलेट के माध्यम से नमक का वितरण तथा टेबलेट के साथ-साथ हितग्राहियों के राशनकार्ड पर भी वितरित नमक की मात्रा एवं मूल्य का इन्द्राज उचित मूल्य दुकानदार द्वारा किया जाये। उचित मूल्य दुकानदार के द्वारा नमक के वितरण से संबंधित अभिलेखों तथा स्टाॅक पंजी, वितरण पंजी आदि का संधारण भी अनिवार्य रूप से किया जाये। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य दुकान स्तर पर गठित निगरानी समितियों को एपीएल राशनकार्डधारियों को प्रदाय किये जा रहे नमक की पात्रता तथा इसके उपभोक्ता मूल्य के समुचित जानकारी उपलब्ध कराई जाये तथा उचित मूल्य दुकानों पर दीवार लेखन के माध्यम से इसका प्रदर्शन किया जाये। इस संबंध में जिला, विकासखंड एवं ग्राम स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाये। जिला, अनुविभाग एवं विकासखंड स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की साप्ताहिक समीक्षा बैठकों में इसके नियमित समीक्षा की जाए।

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