एक साथ कई चुनौतियों का सामना कर रहा भारत, सभी से निपटने में सक्षम


नई दिल्ली. भारत को इस समय एक साथ कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि देश हर चुनौती से निपटने में सक्षम है, लेकिन फ़िलहाल उसके लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कोरोना महामारी (Corona Virus) ने पहले से ही देश की आर्थिक रफ्तार पर ब्रेक लगाया हुआ है. हालांकि, सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रयास कर रही है, मगर इसमें समय लगेगा.

कोरोना के स्वास्थ्य संकट के बीच पड़ोसी देश हर रोज एक नई समस्या उत्पन्न करने में लगे हैं. चीन और पाकिस्तान ने जहां भारत विरोधी अभियानों में तेजी लाई है, वहीं नेपाल भी उनके खेमे में शामिल हो गया है. पिछले कुछ वक्त में पाकिस्तान के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इस्लामाबाद में भारतीय मिशन के दो अधिकारियों का अपहरण और उन्हें प्रताड़ित करने की घटना से साफ हो गया है कि इमरान सरकार क्या चाहती है. भारत ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय उच्चायोग के इन दोनों अधिकारियों को सोमवार को पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा अगवा किया गया और 10 घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया. वहीं, अफगानिस्तान भारत के साथ भले ही सीमा साझा नहीं करता, लेकिन दक्षिण एशिया में उसका साथ भारत के लिए कूटनीतिक रूप से अहम् है. अफगानिस्तान में भारत निवेश करता रहा है, लेकिन उसकी शांति प्रक्रिया में नई दिल्ली को कोई भूमिका निभाने का मौका अब तक नहीं मिला है.

बढ़ेगी दोनों देशों के बीच टेंशन
चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही तनातनी अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुकी है. चीनी फौजियों के साथ झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं. जायज है इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच टेंशन में इजाफा होगा. इसके अलावा, नेपाल के साथ द्विपक्षीय संबंध भी सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. हाल ही में नेपाल के निचले सदन ने भारत के तीखे विरोध के बावजूद विवादित नक्शे से जुड़े संविधान संशोधन बिल को पास कर दिया. इस नक्शे में नेपाल ने भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा को अपना बताया है. हालांकि, भारत का कहना है कि नेपाल के इस दावे का कोई ऐतिहासिक तथ्य या सबूत मौजूद नहीं है.

यह है बीजिंग की योजना
बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ भारत के रिश्ते अभी भी मधुर हैं, लेकिन चीन ने उन्हें ‘ऋण’ के जाल में उलझाना शुरू कर दिया है. लिहाजा इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में इस मोर्चे पर भी भारत को परेशानी उठानी पड़ सकती है. दरअसल, बीजिंग पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के आर्थिक संकटों का लाभ उठाकर उनके साथ अपने संबंधों को घनिष्ट कर रहा है, ताकि हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत कर सके.

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