कभी हीरो से भी ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्रियां, मुफलिसी की जिंदगी जीने को क्यों हुईं मजबूर


नई दिल्ली. आजकल की अभिनेत्रियां बेहद स्मार्ट और समझदार हैं. पहले की नायिकाओं की तरह नहीं, जो अपनी कमाई की कमान अपने पेरेंट्स को सौंप देती थीं और बाद में पैसे-पैसे को तरसती थीं. 70 के दशक की टॉप की हीरोइन रीना राय को अगर मुंबई के सांताक्रुज के किसी कपड़े की दुकान पर शॉपिंग करते देख लें, तो चौंकिएगा मत.

अव्वल तो आज की तारीख में वे इतनी मोटी हो गई हैं कि पहचानी नहीं जाएंगी, दूसरे पहचान भी लें तो उन्हें रत्ती भर फर्क नहीं पड़ेगा.

दरअसल, सच तो यह है कि आज की तारीख में वह बड़ी दुकानों या मॉल में शॉपिंग करना अफोर्ड नहीं कर सकतीं. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि एक जमाने में हीरो से ज्यादा कमाने वाली रीना राय को ऐसे बुरे दिन देखने पड़ गए?

इसकी वजह है, पैसे का मिस मैनेजमेंट. याद करें मधुबाला, नूतन, मीना कुमारी और राजश्री जैसी अभिनेत्रियों को. इन सभी ने अपने समय में खूब पैसे कमाए. फिर इनके पैसे कहां चले गए? उस दौर की अधिकांश नायिकाओं की कमाई उनके माता-पिता संभालते थे. मधुबाला उर्फ मुमताज जहान बेगम देहलवी के पिता अताउल्लाह खान ने उन्हें कभी अपनी मर्जी से एक पैसा खर्च करने नहीं दिया.

परिवार बड़ा था. मधुबाला के स्टार बनते ही घर में खूब पैसा आने लगा. अताउल्लाह खान ने रईसों की तरह खूब खर्चे किए, रिश्तेदारों पर लुटाया. जब मधुबाला बीमार हुईं, तो उनके इलाज के लिए पैसे नहीं बचे थे. ऐसी ही दास्तां मीना कुमारी की भी थी, जिन्होंने शराब पी-पी कर अपनी जान दे दी.

इसके बाद 60 और 70 के दशक की कई नायिकाओं का भी यही हाल हुआ. किसी के पिता ने उनके पैसे लुटा दिए, तो किसी की मां ने. हेमा मालिनी की मां जया चक्रवर्ती ने भी बेटी के ही दम पर अपने बेटे और दूसरे रिश्तेदारों की खूब मदद की. लेकिन समय रहते हेमा संभल गईं. कहते हैं इसमें उनके शौहर धर्मेंद्र का भी काफी हाथ है, जिन्होंने हेमा के पैसों को सही तरह से निवेश करने में मदद की.

जीनत अमान ने भी अपने हाल के एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मेरी पीढ़ी की हीरोइनों को पैसा संभालना नहीं आया. हमने खूब कमाया और गंवाया भी. हमारे परिवार वालों, शौहर सबने हमारे पैसे का खूब इस्तेमाल किया. आज जब हमें जरूरत है, तो दूसरों का मुंह ताकना पड़ता है.’

‘गीत गाता चल’ फिल्म से सुपरहिट हुईं सारिका ने तो अपनी मां कमल ठाकुर के ऊपर केस कर दिया था. सारिका बाल कलाकार थीं. स्कूल भी नहीं गईं. जब वो महज ढाई साल की थीं, उनकी मां ने उन्हें बतौर बाल कलाकार फिल्मों में काम करने भेज दिया. सारिका की कमाई पर घर चलता था. व​ह हीरोइन बनीं, तो सारे पैसे मां रख लेती थीं.

बहुत बाद में सारिका को अहसास हुआ कि उनके अपने नाम से कुछ भी नहीं है, बैंक में फूटी कौड़ी नहीं है. मां ने सबकुछ अपने नाम कर रखा था. ये वो दिन थे, जब सारिका को काम नहीं मिल रहा था. वह अपने दो-चार कपड़े लेकर अपनी एक दोस्त के घर रहने चली गईं. इतना पैसा कमाने के बावजूद लंबे समय तक उन्हें वडा पाव खाकर गुजारा करना पड़ा. यही हश्र बाद के सालों में अमीषा पटेल का हुआ.

ऐसे हीरोइनों की लंबी फेहरिस्त है जो करियर खत्म होने के बाद मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाती हैं. पर आजकल की हीरोइनें बेहद स्मार्ट हैं. वे पैसे की कमान अपने हाथ में रखती हैं, सही जगह निवेश करती हैं, अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती हैं. चाहे वो दीपिका पादुकोण हों, ऐश्वर्या राय बच्चन हों या फिर आलिया भट्ट और कृति सेनन. ये सब इंडस्ट्री में हीरो के बराबर पारिश्रमिक पाती हैं और अपने पैसे को सही जगह पर निवेश करना भी जानती हैं.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!