कलेक्टर ने की पैरा दान करने की अपील, सरपंचों को लिखी पाती

बिलासपुर.फसल काटने के बाद अनुपयोगी पैरा को जलाने पर बिलासपुर अनुविभाग में प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई की जायेगी। अनुविभागीय दंडाधिकारी की ओर से यह आदेश पर्यावरण संरक्षण मंडल, पशु चिकित्सा विभाग से मिले प्रतिवेदन के बाद जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि खरीफ फसल की कटाई करीब एक माह बाद शुरू हो जायेगी। बीते कई वर्षों से देखा गया है कि ग्रामीण हार्वेस्टर से खरीफ फसल कटाई कराते हैं और फसल का आधी डंठल खेत में ही छोड़ दी जाती है। इस पैरा को किसान आग लगाकर जला देते हैं, जो पशुओं के उपयोन में नहीं आ पाता और नष्ट हो जाता है। इससे उत्पन्न होने वाली गैसों से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है साथ ही मिट्टी में मौजूद लाभकारी बैक्टिरिया और सूक्ष्म जीव भी मर जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।  इसके धुएं का दुष्प्रभाव मानव शरीर पर लड़ता है जिससे कारण फेफड़ों की बीमारी, सांस लेने में तकलीफ तथा कैंसर जैसे रोग भी हो सकते हैं। पशु पक्षियों को भी इससे नुकसान होता है।
दंडाधिकारी आदेश में बताया गया है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा सन् 2016 में फसल अपशिष्ट जलाने पर अर्थदंड का प्रावधान भी कर रखा है। क्षेत्रीय अधिकारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल एवं संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवा के प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार प्रतिबंध का यह आदेश जारी किया गया है। एक टन पैरा जलाने से तीन किलो पर्टिकुलेट मैटर (पीएम), 60 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाइ आक्साइड, दो किलो सल्फर डाइ आक्साइड जैसे गैसों का उत्सर्जन तथा 199 किलो राख उत्पन्न होती है। अनुमान यह भी है कि एक टन धान का पैरा जलाने से मृदा में मौजूद 5.5 किलोग्राम सल्फर नष्ट हो जाता है।
कलेक्टर का पत्र सरपंचों के नाम, पैरा दान करने की अपील
कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने जिले के सरपंचों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे मुनादी कराकर किसानों से गौठानों में पैरा दान करने का आग्रह करें। इसके साथ ही धान कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष पैरे को जलाने से किसानों को रुकवाएं । कुछ जगहों पर असामाजिक तत्वों द्वारा बीमार और आवारों पशुओं को गौठानों में पहुंचा दिया जाता है, जिस पर निगरानी रखना भी आपके दायित्व का एक हिस्सा है। कलेक्टर डॉ. अलंग ने  कलेक्टर ने सरपंचों से कहा है कि गौठान समिति को चारा इकट्ठा करने के लिये पंचायत निधि से जरूरत के हिसाब से राशि प्रदान कर पशुओं की देखभाल के लिये मुस्तैद रखें और उन्हें सक्षम नेतृत्व प्रदान करें। इसके साथ-साथ धान कटाई के बाद के फसल अवशेष नरई को जलाने की जगह उसे खाद बनाने के लिये कृषि विभाग द्वारा संचालित योजना से किसानों अवगत करायें और उसका लाभ उठाने के लिये प्रेरित करें। पैरे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसा करने पर छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत स्वच्छता सफाई एवं न्यूसेंस का निराकरण तथा उपशमन नियम 1999 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
सरपंचों को दीपावली पर्व की शुभकामना देते हुए कलेक्टर ने कहा है कि उनकी ग्राम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए सजगता से और बेहतर कार्य शैली का परिचय दें, जिससे गौ-सेवा जैसे पुनीत कार्य के प्रति ग्राम, समाज को और भी जागरूक और समृद्ध बनाया जा सके

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