December 29, 2019
कानन पेंडारी में फिर एक जानवर की हुई मौत
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के मिनी जू के नाम से मशहूर बिलासपुर के कानन पेंडारी में प्रबंधन की लापरवाही से बेजुबान जानवरों के मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है।आज फिर एक बेजुबान जानवर प्रबंधन की लापरवाही से मौत की भेंट चढ़ गया है। हालांकि इस बात की भनक कानन पेंडारी से बाहर निकलकर मीडिया और प्रशासन को ना लगे। इसलिए हर बार यह जानवरों की मौत के बाद गुपचुप तरीके से पोस्टमार्टम करके उनके कफन दफन की तैयारी में जुटे हुए होते हैं। और जब मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है तब प्रबंधन चुपके के मृत जानवर की मौत की खबर को छन्नी में छानकर मीडिया और प्रशासन को देते है। जिसमें भी पूरी तरीके से लीपापोती कर दी जाती है और जिम्मेदार जानवर को ही ठहरा देते हैं कि उनकी मौत नेचुरल डेथ के कारण हुई है। बता दें कि रविवार के तड़के सुबह कानन पेंडारी में नीलगाय की मौत की खबर तेजी से फैल गई। जिस पर पर्दा डालने के लिए कानन पेंडारी प्रबंधन पूरी तैयारी से सक्रिय होकर जुट गया। और गुपचुप तरीके से किसी को कानो कान खबर ना लगते हुए कफन दफन का इंतजाम करने लगे रहे इस बात की जानकारी जब मीडिया तक पहुंची तो अधिकारियों ने अपना मोबाइल बंद कर लिया और कानन पेंडारी के मुख्य द्वार व वीआईपी गेट से किसी भी मीडिया कर्मी और अन्य बाहरी को जिसका इस मौत से ताल्लुक हो उसके प्रवेश पर पुरजोर तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया और गेट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों को हिदायत दी गई कि किसी भी सूरत में जब तक कफन दफन ना पूरी हो पाए तब तक किसी को अंदर आने ना दिया जाए।
2 दिन पहले हो चुकी है भालू की मौत
हालांकि यह पहला मामला नहीं है कि कानन पेंडारी में बेजुबान जानवर की मौत का मामला सामने आया हो यहां के लिए तो यह आम बात हो गई है कि हर दिन कोई न कोई बेजुबान जानवर समय से पहले अपनी मौत की भेंट चढ़ा हो ज्ञात हो कि एक पखवाड़ा पूर्व रायगढ़ में आदमखोर भालू का रेस्क्यू कर वन विभाग ने कानन पेंडारी जू में उसके इलाज के लिए छोड़ा था लेकिन अन्य के भरोसे उसका इलाज चलने के कारण कोई बेहतर सुधार स्वास्थ्य नहीं हो सका और प्रबंधन की लापरवाही और बेहतर स्वास्थ मुहैया नहीं होने के अभाव में घायल भालू कि 2 दिन पहले ही मौत हो गई थी जिस पर भी प्रबंधन उसकी मौत पर लीपापोती करने में जुटा रहा।
हालांकि यह पहला मामला नहीं है कि कानन पेंडारी में बेजुबान जानवर की मौत का मामला सामने आया हो यहां के लिए तो यह आम बात हो गई है कि हर दिन कोई न कोई बेजुबान जानवर समय से पहले अपनी मौत की भेंट चढ़ा हो ज्ञात हो कि एक पखवाड़ा पूर्व रायगढ़ में आदमखोर भालू का रेस्क्यू कर वन विभाग ने कानन पेंडारी जू में उसके इलाज के लिए छोड़ा था लेकिन अन्य के भरोसे उसका इलाज चलने के कारण कोई बेहतर सुधार स्वास्थ्य नहीं हो सका और प्रबंधन की लापरवाही और बेहतर स्वास्थ मुहैया नहीं होने के अभाव में घायल भालू कि 2 दिन पहले ही मौत हो गई थी जिस पर भी प्रबंधन उसकी मौत पर लीपापोती करने में जुटा रहा।