कारपोरेट टैक्स में कमी का लाभ केवल बड़े औद्योगिक घरानों को मिलेगी : रमेश वर्ल्यानी

रायपुर. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री, प्रवक्ता, पूर्व विधायक एवं आर्थिक मामलों के जानकार रमेश वर्ल्यानी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने के नाम पर की गई घोषणाओं को छलावा बताया है। कारपोरेट टैक्स में कमी का लाभ केवल बड़े औद्योगिकघरानों को मिलेगी। छोटे उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं आम आयकर दाताओं को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा। व्यापारी, कर्मचारी और आम आयकर दाता को 5 लाख रूपये से ऊपर आमदनी पर 20 प्रतिशत एवं 10 लाख रूपये से ऊपर आमदनी पर 30 प्रतिशत की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इनकी टैक्स दरों में कटौती नही करके, केवल कारर्पोरेट घरानों की टैक्स दरों में कटौती कर देश को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि मोदी सरकार बड़े कारपोरेट घरानों के साथ खड़ी है। यदि समाज इन वर्गो के आयकर दरों में कटौती होती है तो आम आदमी की क्रय शक्ति में बढ़ोतरी होती और बाजार गुलजार होता। केंद्र सरकार को जमीनी धरातल का ज्ञान ही नहीं है कि कारखाने के उत्पाद की डिमांड ही नहीं है क्योंकि बेरोजगारी और मंदी के चलते लोगों के पास क्रय शक्ति ही नहीं बची है। जब कंपनियों का उत्पादन ही लगातार गिर रहा है तो उनकी बैलेंस शीट में ना मुनाफा आएगा और ना ही उन्हे कर छूट का लाभ मिलेगा। अतः वित्त मंत्री की 1.45 लाख करोड़ छूट की घोषणा केवल छलावा है एवं अमेरिका में मोदी इवेंट में वहां के निवेशकों को लुभाने का प्रयास है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को कोई गति नहीं मिलेगी। किस्तों में की जा रही घोषणाओं से यह स्पष्ट होता है कि सरकार के पास अर्थव्यवस्था को लेकर दूरगामी सोच का अभाव है।

 श्री वर्ल्यानी ने जीएसटी पर की गई घोषणाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यहां भी की गई आधी-अधूरी घोषणाओं से अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जीएसटी में वार्षिक रिटर्न के सरलीकरण करने की मांग को स्वीकार करने के बजाय कौंसिल ने दो करोड़ रुपए टर्नओवर वालों के लिए वार्षिक रिटर्न से मुक्त एवं वैकल्पिक कर दिया। इससे समस्या का समाधान नहीं होगा क्योंकि मासिक, तिमाही रिटर्न में मिसमेच को संशोधित करने के लिए एकमात्र विकल्प वार्षिक रिटर्न ही बचा था। पांच करोड़ रुपए के ऊपर टर्न ओवर वाले भी वर्तमान में लागू वार्षिक रिटर्न  को भर नहीं पाएंगे। कोई सी.ए. वर्तमान में लागू प्रावधानों के चलते जीएसटी ऑडिट एवं वार्षिक रिटर्न भरने को तैयार नहीं है। इसका एकमात्र हल वार्षिक रिटर्न को नए सिरे से सरलीकृत करने पर ही है।

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