काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की खुदाई के दौरान मिले प्राचीन मंदिर के अवशेष


वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ड्रीम प्रॉजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) की खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं. गुरुवार देर शाम ज्ञानव्यापी मैदान में श्रृंगार गौरी मंदिर के पास पश्चिम दिशा में बुलडोजर से खुदाई के दौरान ये अवशेष मिले हैं. जिसके बाद आनन-फानन में खुदाई के काम को रोका दिया गया है. जानकारी के अनुसार, खुदाई में मिले ये अवशेष 16वीं शताब्दी के मंदिरों की स्थापत्य शैली से मिलते-जुलते हैं. जिसके बाद से ही पुरातत्व विभाग पत्थरों की जांच कर रहा है.

विग्रहों को संरक्षित करने की बात कर रहा मंदिर प्रशासन
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम करीब दो महीने तक बंद रह था. जिसे जून में दोबार शुरू किया गया था. इस दौरान मंदिर प्रशासन पर लगातार यह आरोप लगते रहे हैं कि कॉरिडोर बनाने में कई प्राचीन मंदिरों को तोड़ा गया और मलबा गंगा नदी में गिराया गया. लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रही है. काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में ऐसे तमाम प्राचीन मंदिर जो लोगों के घरों में कैद थे, अब सामने देखने को मिल रहे हैं. मंदिर प्रशासन उन विग्रहों को संरक्षित करने की बात कर रहा है.

5000 स्क्वायर फीट में बनकर तैयार हो रहा पीएम मोदी का ड्रीम प्रॉजेक्ट
दरअसल, इस प्रोजेक्ट को अगस्त 2021 तक पूर्ण कर जनता को समर्पित करना है. इस वजह से काम में तेजी देखने को मिल रही है. काशी विश्वनाथ धाम प्रॉजेक्ट की लागत 800 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है. काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्टर 5000 स्क्वायर फीट में बनकर तैयार हो रहा है. मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि परिवर्तन बड़ा है, लोगों को इसमें ढलने में थोड़ा वक्त लगेगा.

तेजी से चल रहा कार्य, 155 मजदूर दिन-रात कर रहे काम
काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी पीएसपी कंपनी के पास है. पीएसपी के इंजीनियर और मजदूर दिन रात कार्य को पूर्ण करने में जुटे हैं. पीएसपी प्रोजेक्ट लिमिटेड की ओर से इस समय कुल 155 मजदूर, 5 इंजीनियर काम पर लगाए गए हैं. साथ ही लोक निर्माण विभाग की ओर से चार अधिकारी मानकों का पालन कराने व कार्य की गुणवत्ता को परखने के लिए लगाए गए हैं.

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