किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ और देशव्यापी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करेगी किसान सभा

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति सहित 500 से अधिक किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान पर कल 3 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ किसान सभा काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करेगी और गांव-गांव में प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे, रास्ते रोके जाएंगे और मोदी सरकार तथा किसान विरोधी कानूनों के पुतले जलाए जाएंगे।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां जारी एक बयान में दिल्ली के राजमार्गों पर घेरा-डेरा डाले किसानों पर दमन और आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत के दिखावे की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन काले कानूनों के बारे में किसानों के बीच कोई भ्रम नहीं है, बल्कि सरकार ही इस भ्रम में है कि किसानों की एकजुटता को वह तोड़ सकती है। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों को राष्ट्रविरोधी, खालिस्तानी आतंकवादी और पाकपरस्त आदि-इत्यादि कहे जाने की भी तीखी निंदा की और कहा कि यह आंदोलन और इसकी मांगें पूरे देश के किसानों की है और उन्होंने पिछले छह माह से गांव से लेकर राज्यों की राजधानियों तक आंदोलन किया गया है, लेकिन इस तानाशाह सरकार ने उसकी अनसुनी की है।
किसान समुदाय के साथ बातचीत किये बिना और संसदीय समितियों में परीक्षण किये बिना अलोकतांत्रिक तरीके से इन किसान विरोधी कानूनों को बनाये जाने के बाद अब इन कानूनों पर विचार-विमर्श के लिए समिति बनाये जाने के सरकार के प्रस्ताव को आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा ठुकराए जाने का छत्तीसगढ़ किसान सभा ने स्वागत किया है। किसान सभा नेताओं ने कहा है कि ऐसी समिति का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि कोई बीच का रास्ता ही नहीं बचा है और मोदी सरकार को इन काले कृषि विरोधी कानूनों को और बिजली कानून में संशोधनों को तुरंत वापस लेने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 3 दिसम्बर के देशव्यापी आंदोलन के बाद किसान सभा फिर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सप्ताहव्यापी अभियान चलाएगी और बड़े पैमाने पर किसानों को लामबंद करेगी।

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