किसान सभा ने कहा-किसान न्याय योजना को ‘अन्याय योजना’ न बनने दे सरकार

रायपुर.छत्तीसगढ़ किसान सभा ने राजीव किसान न्याय योजना के अंतर्गत किसानों को 5700 करोड़ रुपयों की राशि एकमुश्त देने की मांग की है। किसान सभा ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि जिस तरह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ‘असम्मान योजना’ में बदल गई है, उसी तरह वे किसान न्याय योजना को ‘अन्याय योजना’ न बनने दें।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते व महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि पहले असमय बारिश व ओलावृष्टि के कारण और फिर उसके बाद कोरोना संकट के चलते अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन के कारण रबी के मौसम की खेती-किसानी बर्बाद हुई है और उत्पादन में भारी गिरावट आई है। जो फसल पैदा हुई, वह भी सरकारी खरीदी की व्यवस्था न होने के कारण बाजार की लूट का शिकार बनी है। स्थिति इतनी खराब है कि पिछले वर्ष 2000 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला मक्का इस वर्ष 1000 रुपए में भी बाजार में बिक नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण किसानों की आजीविका को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई करने में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की कोई दिलचस्पी नहीं है। इससे  किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में खरीफ मौसम की खेती के लिए नगदी की जरूरत है। इसके अभाव में खरीफ की खेती भी बड़े पैमाने पर प्रभावित होने की आशंका है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि सोसायटियों में धान बेचने के बाद राज्य सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य प्राप्त करना उसका अधिकार है। राजीव किसान न्याय योजना की कल्पना किसानों को सम्मान देने और किसानी का मान देने के लिए की गई है। यदि संकट के समय उसे उसकी मेहनत का अधिकार नहीं मिलेगा, तो इस योजना का कोई औचित्य नहीं रह जाता, जबकि इस वर्ष के बजट में पूरी राशि का प्रावधान किया गया है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब किसानों को बढ़ा हुआ समर्थन मूल्य देने का जो वादा कांग्रेस ने चुनाव में किया था, उसे भी अब भोथरा बनाने की कोशिश की जा रही है। किसान सभा नेताओं ने जानकारी दी है कि 27 मई को देशव्यापी किसान आंदोलन की मांगों में छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों ने इस मांग को भी जोड़ कर प्रदेश में आंदोलन करने का फैसला किया है।

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