किस राम सेवक से Amitabh Bachchan ने लिया ‘गऊ ज्ञान’, इस ट्वीट में छुपा है बड़ा रहस्य


नई दिल्ली. ‘संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं’, प्रेमचंद के नाम से अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने ये गऊ ज्ञान आज ट्वीट पर दिया है. अब लोग इसके मतलब को ढूंढने में जुट गए हैं कि इस ट्वीट को अपने निजी मसले से बच्चन ने जोड़कर लिखा है या फिर ऐसे ही ज्ञान बांटने के मकसद से लिखा है. ऐसे में हमने थोड़ी पड़ताल की कि आखिर प्रेमचंद जी ने अपनी किस कहानी या उपन्यास में कहां इसका इस्तेमाल किया है, किस किरदार से कहलवाया है. ये लाइन प्रेमचंद के उपन्यास गोदान के पात्र राम सेवक की है और महज एक लाइन नहीं है, बल्कि पूरा भाषण है, जो आज भी पूरे तंत्र पर सवाल उठाता है कि कैसे एक आदमी किन-किन बातों से परेशान हो सकता है. जब दातादीन ने पूछा कैसा मुकदमा है महतो, तो राम सेवक ने क्या जवाब दिया वो पढ़िए, उस जवाब में ही ये ‘गऊ ज्ञान’ है-

राम सेवक ने कहा– ‘मुकदमा तो एक न एक लगा ही रहता है महराज! संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता. जितना दबो, उतना ही लोग दबाते हैं. थाना-पुलिस, कचहरी-अदालत सब हैं हमारी रक्षा के लिए, लेकिन रक्षा कोई नहीं करता. चारों तरफ लूट है. जो गरीब है, बेकस है, उसकी गर्दन काटने के लिए सभी तैयार रहते हैं. भगवान न करे, कोई बेईमानी करे. यह बड़ा पाप है, लेकिन अपने हक और न्याय के लिए न लड़ना उससे भी बड़ा पाप है. तुम्हीं सोचो, आदमी कहां तक दबे? यहां तो जो किसान है, वह सबका नरम चारा है. पटवारी को नजराना और दस्तूरी न दे, तो गांव में रहना मुश्किल. जमींदार के चपरासी और कारिंदों का पेट न भरे तो निबाह न हो. थानेदार और कांस्टेबल तो जैसे उसके दामाद हैं. जब उनका दौरा गांव में हो जाए, तो किसानों का धर्म है, वह उनका आदर-सत्कार करें, नहीं तो एक रिपोर्ट में गांव का गांव बंधा जाए. कभी तहसीलदार लोग आते हैं, कभी डिप्टी, कभी कलेक्टर, कभी कमिश्नर.’

राम सेवक आगे कहते हैं, ‘किसान को उनके सामने हाथ बांधे हाजिर रहना चाहिए. उनके लिए रसद-चारे, अंडे-मुर्गी, दूध-घी का इंतजाम करना चाहिए. तुम्हारे सिर भी तो वही बीत रही है महराज. एक न एक हाकिम रोज नए-नए बढ़ते जाते हैं. एक डॉक्टर कुओं में दवाई डालने के लिए आने लगा है, एक दूसरा डॉक्टर कभी-कभी आकर ढोरों को देखता है. लड़कों का इम्तिहान लेने वाला इंस्पेक्टर है, न जाने किस-किस महकमे के अफसर हैं, नहर के अलग, जंगल के अलग, ताड़ी-शराब के अलग, गांव-सुधार के अलग, खेती-विभाग के अलग, कहां तक गिनाऊं? और जो कहो कि इतने महकमों और इतने अफसरों से किसान का कुछ उपकार होता हो, तो नाम को नहीं. अभी जमींदार ने गांव पर हल पीछे दो-दो रुपए चंदा लगाया. किसी बड़े अफसर की दावत की थी. किसानों ने देने से इनकार कर दिया. बस उसने सारे गांव पर जाफा कर दिया. हाकिम भी जमींदार ही का पक्ष करते हैं. यह नहीं सोचते कि किसान भी आदमी है, उसके भी बाल-बच्चे हैं, उसकी भी इज्जत-आबरू है. और यह सब हमारे दब्बूपन का फल है.’

राम सेवक ने कहा– ‘मैंने गांव-भर में डोंडी पिटवा दी कि कोई भी बेसी लगान न दो और न खेत छोड़ो, हमको कोई कायल कर दे, तो हम जफा देने को तैयार हैं, लेकिन जो तुम चाहो कि बेमुंह के किसानों को पीस कर पी जाएं तो यह न होगा. गांव वालों ने मेरी बात मान ली, और सबने जफा देने से इनकार कर दिया. जमींदार ने देखा, सारा गांव एक हो गया है तो लाचार हो गया. खेत बेदखल भी कर दे, तो जोते कौन- इस जमाने में जब तक कड़े न पड़ो, कोई नहीं सुनता. बिना रोए तो बालक भी मां से दूध नहीं पाता.’

बच्चन साहब केवल इतना कहना चाहते हैं कि मुझे ‘दब्बू’ मत समझो, तभी तो जिसने 2 दिन पहले उनकी मौत की कामना की थी. उनको एक तरह से श्राप ही दे दिया था. अगले दिन अमिताभ ने हिंदी में इसी लाइन को लेकर अपने ब्लॉग में बात आगे और बढ़ाई-

‘ठोकना तो निश्चित है, वो सांप वाली कहानी तो याद होगी. एक सपेरे का पालतू सांप, मालिक की सुरक्षा के लिए वहीं पास में बैठा रहता था. जो भी उधर से गुजरे सांप उसे काट लेता था. लोगों ने कंप्लेन किया कि ये तो बहुत खतरनाक मामला है. सपेरे को यहां से हटा देना चाहिए. जब सपेरे ने ये सुना तो उसको लगा की अगर यहां से हटा दिया गया तो उसका धंदा बंद हो जाएगा. उसने सांप को बुलाया और कहा चुप चाप बैठे रहना काटना मत किसी को, नहीं तो निकाल दिए जाएंगे. सांप ने मालिक की बात मान की और चुप चाप बैठा रहा. अब जो भी वहां से गजरे, ये देख करके की सांप तो कुछ कर नहीं रहा, उसे डंडे से मारने लगे. सांप जान बचाने के लिए भागा वहां से और पहुंच गया मालिक के पास. मालिक ने अपने सांप की दुर्दशा देखकर बहुत नाराज़ हुआ. क्यों मार खाई तूने, उसने सांप तो फटकारा. सांप ने उत्तर दिया, मालिक आप ही ने तो कहा था की चुपचाप बैठे रहो, काटो मत. सो मैं चुपचाप बैठा रहा और क्योंकि आपने काटने से मना किया था, मार खाता रहा और अब मेरा ये हाल लोगों ने कर दिया है. फिर मालिक ने सांप को दो झापड़ मारे  और डांटते हुए कहा- अबे, काटने से माना किया था, फुफकारने से थोड़ी न! समझ ने वाले समझ गए होंगे.’

और अब ये ‘गऊ ज्ञान’ वाली ट्वीट, समझ जाइए कि बिग बी आजकल ‘एंग्री ओल्ड मेन’ के किरदार में हैं. वो इस वक्त एक भयावह बीमारी की चपेट में हैं. ऐसे में उनके करोड़ों फैंस दुनियाभर में उनकी सलामती की दुआएं कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इस हालत में भी बच्चन को गुस्सा करने पर मजबूर कर रहे हैं. उम्मीद है कि बिग बी भी इन सबको नजरअंदाज करते हुए, जल्द स्वस्थ होकर घर वापस लौटेंगे.

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