कुछ ही हफ्ते में शरीर से गायब हो सकती हैं कोरोना ऐंटिबॉडीज!

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज जब इस बीमारी से ठीक हो जाता है। यानी जब उसके टेस्ट नेगेटिव आने लगते हैं, इसके बाद भी करीब 2 सप्ताह तक उसके शरीर में इस वायरस की मौजूदगी रह सकती है। जो अन्य व्यक्तियों को संक्रमित करने कर सकती है…

हर दिन कोरोना वायरस और इसके संक्रमण से जुड़े नए फैक्ट्स सामने आ रहे हैं। दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बीमारी के प्रभाव, संक्रमण के दौरान नजर आनेवाले लक्षणों और बीमारी से मुक्त हो जाने के बाद भी इस बीमारी का शरीर पर होनेवाला असर कैसा है, इन सभी सवालों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं। इसकी कड़ी में वैज्ञानिकों के सामने जो ताजा जानकारी आई है, वह कुछ इस प्रकार है…

-कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज जब इस बीमारी से ठीक हो जाता है। यानी जब उसके टेस्ट नेगेटिव आने लगते हैं, इसके बाद भी करीब 2 सप्ताह तक उसके शरीर में इस वायरस की मौजूदगी रह सकती है। जो अन्य व्यक्तियों को संक्रमित करने कर सकती है।

-कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद जिस व्यक्ति के शरीर में ऐंटिबॉडीज बनती हैं, वे ऐंटिबॉडीज क्या उस व्यक्ति को दोबारा इस रोग की चपेट में नहीं आने देतीं? पिछले दिनों ऐसे ही कई सवालों को ध्यान में रखते हुए कोरोना ऐंटिबॉडीज पर रिसर्च की गई। ऐसी रिसर्च हालही ब्रिटेन में और इससे पहले स्पेन में की गई।

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ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित कर सकता है कोरोना

क्या रहा रिजल्ट?
-ऐंटिबॉडीज पर अलग-अलग देशों द्वारा की गई इन स्टडीज में सामने आया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए जो ऐंटिबॉडीज शरीर में बनती हैं, वे कुछ समय बाद शरीर में खत्म हो जाती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को दोबारा संक्रमण होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

-ऐंटिबॉडीज से संबंधित यह रिपोर्ट ‘द गार्डियन’ में प्रकाशित की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पेशंट के शरीर में कोरोना के लक्षण नजर आते हैं उसके बाद करीब 3 सप्ताह तक ऐंटिबॉडीज शरीर में बहुत बड़ी मात्रा में मौजूद होती हैं और ये लगातार बन रही होती हैं। इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेशंट्स के शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए ऐंटिबॉडीज बनती हैं लेकिन वे लंबे समय तक जीवित नहीं रहतीं। इस कारण जिस व्यक्ति को यह संक्रमण एक बार हो चुका है, उसके भी दोबारा संक्रमित होने की पूरी आशंका है।

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कोरोना वैक्सीन से जुड़ी ताजा जानकारी

वैक्सीन को लेकर आशंका
-इस रिसर्च के साथ ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ताजा वैक्सीन पर की गई स्टडी के अनुसार, जिन जानवरों को वैक्सीनेशन के जरिए ऐंटिवॉडीज बनने की प्रक्रिया का परीक्षण किया गया, उन जानवरों के शरीर में इंसान के शरीर की तुलना में कम ऐंटिबॉडीज मिलीं।

-इस रिजल्ट का एक अर्थ यह भी होता है कि कोरोना की वैक्सीन एक बार लगने के बाद इससे हमेशा सुरक्षा की गारंटी नहीं रहेगी। बल्कि समय-समय पर इसका वैक्सीनेशन कराते रहना होगा। तभी कोविड-19 से बार-बार संक्रमित होने से बचा जा सकता है।

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