कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा उद्यानिकी विभाग के सहयोग से 1000 पौधों का वृक्षारोपण

बिलासपुर. कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन इफको के सौजन्य से किया गया। इस कार्यक्रम में 1000 फलदार एवं वानिकी पौधों का रोपण ग्राम बैमा विकासखंड बिल्हा, ग्राम लाखासार विकासखंड तखतपुर तथा ग्राम जयरामनगर विकासखंड मस्तूरी में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा उद्यानिकी विभाग के सहयोग से किया गया। वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रशिक्षण कक्ष में कृषक संगोष्ठी भी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में लगभग 100 किसान तथा 50 छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक मस्तूरी डा. कृष्णमूर्ति बांधी थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए किसानों को अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर खेती करने की सलाह दी। किसानों को मृदा परीक्षण कराकर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करने तथा नीमकोटेड यूरिया का उपयोग करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कृषकों के समस्याओं पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा.अमित शुक्ला ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले में संचालित योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी तथा किसानों को फलदार वृक्ष पौधरोपण करने की सलाह दी। कार्यक्रम में इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री नवीन तिवारी ने किसानों को संतुलित उर्वरकों का उपयोग तथा नये विशिष्ट उर्वरकों के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर डा. आर.के. शुक्ला तथा डा. ए.के. अवस्थी ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसानों से आधुनिक खेती को अपनाते हुए पर्यावरण पर विशेष ध्यान देने हेतु आग्रह किया। उन्होंने किसानों को कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग करने से बचने की सलाह देते हुए इनका समुचित उपयोग करने कहा। पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण तथा टपक सिंचाई को अपनाने की सलाह दी। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र से प्राध्यापक डा. किरण गुप्ता, इंजी पंकज मिंज, श्रीमती सुशीला ओहदार तथा अन्य कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का मंच संचालन एवं आभार प्रर्दशन केन्द्र की वैज्ञानिक श्रीमती शिल्पा कौशिक द्वारा किया गया।