कैसे होता है कोरोना रोगियों का इलाज, जानें पूरी बात

कोरोना से संक्रमित (Corona Infection) मरीजों का ट्रीटमेंट हॉस्पिटल में किस तरह किया जाता है और डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए किस तरह इलाज करते हैं, यहां जानिए…

आमतौर पर संक्रमण के लक्षण देखकर यह बात तीसरे दिन तक पूरी तरह साफ हो जाती है कि कोरोना हुआ है या नहीं हुआ है। क्योंकि कोरोना होने की स्थिति में पहले-दूसरे दिन ही व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, स्मेल ना आना या किसी चीज का स्वाद पता न चल पाने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। जब यह कंफर्म हो जाता है कि व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण है, तब हॉस्पिटल में इलाज का नंबर आता है। यहां जानें किस तरह से होता है कोरोना मरीजों का इलाज…

कोरोना मरीजों के इलाज की प्रक्रिया

-किसी व्यक्ति की उम्र, वायरस लोड और उसके लक्षणों के साथ ही डॉक्टर्स इस बात पर पूरा ध्यान देते हैं कि पेशंट की मेडिकल हिस्ट्री क्या है। यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी जैसे कि शुगर, हार्ट की समस्या, किडनी का रोग आदि हो तो ऐसे पेशंट्स को अत्यधिक निगरानी में रखा जाता है।

इस तरह होती है जांच
-जब कोरोना संक्रमित मरीज हॉस्पिटल में एडमिट होता है तो डॉक्टर्स उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक करते हैं, सीने का एक्स-रे कराते हैं और ब्लड टेस्ट के जरिए निमोनिया की जांच करते हैं। क्योंकि निमोनिया, माइल्ड और सीवियर कोविड-19 का प्रमुख लक्षण है।

NBT

कोरोना संक्रमण के इलाज का तरीका

-जिन मरीजों में निमोनिया, ऑक्सीजन स्तर कम और इंफेक्शन से जुड़े अन्य लक्षण बढ़े हुए दिखते हैं, केवल उन्हीं मरीजों को डॉक्टर हॉस्पिटल में एडमिट करते हैं। ताकि उन्हें ऑक्सीजन दी जा सके। साथ ही जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिल सके।

-अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना के साथ ही फेफड़ों में सूजन की समस्या होती है तो इस स्थिति में आपके डॉक्टर आपको यह इंफ्लेमेशन कम करने की दवाएं दे सकते हैं। इनमें डेक्सामेथासोन मेडिसिन भी शामिल हो सकती है। क्योंकि यह दवाई दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के दौरान रोग को गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोकती है।

-रिपोर्ट्स की मानें तो कोविड-19 के कारण जो लोग वेंटिलेटर पर पहुंच गए थे, उनमें 15 प्रतिशत से अधिक लोगों की जान बचाने का श्रेय इसी दवाई को जाता है। लेकिन इस दवाई के साथ यह कंडीशन जुड़ी है कि जो लोग वेंटिलेटर पर हों उन्हीं में यह मौत का खतरा कम करती है। अगर कोई बिना वेंटिलेटर वाला कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति इस दवाई को लेता है तो उसमें मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है।

NBT

कोरोना इलाज के दौरान कितने दिन रहना होता है अस्पताल में

डॉक्टर कर सकते हैं बदलाव
-ऐसा नहीं है कि डॉक्टर्स आपको सिर्फ यही दवाएं देंगे। यह पेशंट की स्थिति पर निर्भर करता है कि उसे कौन-सी दवाएं देनी हैं और कौन-सी नहीं। भारत में डॉक्टर्स आपको रेमेडिसिविर (Remdesivir) भी दे सकते हैं। यह दवाई वैसे तो इबोला वायरस के इलाज के लिए विकसित की गई थी लेकिन कोरोना के इलाज में इस दवाई ने मरीज के रिकवरी टाइम को बहुत कम करने का काम किया है।

-इसके साथ ही मरीज की उम्र, उसकी मेडिकल हिस्ट्री और वर्तमान स्थिति को देखते हुए इंटेसिव केयर यूनिट (intensive care unit) में रख सकते हैं। डॉक्टर किसी व्यक्ति को कितने दिन तक हॉस्पिटल में रुकने की सलाह देते हैं, यह डॉक्टर पेशंट की स्थिति और अपने अनुभव के आधार पर निर्णय लेते हैं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!