कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद भी नहीं मिलेगी मास्क से मुक्ति, जानें वजह
अगर आप सोच रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद आपको फेस मास्क से मुक्ति मिल जाएगी… तो जरा ठहरिए, हेल्थ एक्सपर्ट्स से जान लीजिए कि वे इस बारे में क्या कह रहे हैं और क्यों कह रहे हैं…
बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (BCM) ह्यूस्टन, टेक्सास की वैक्सीन डेवलेपर मारिया एलेना का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन मार्केट में आने और ज्यादातर लोगों को इसका टीका लगने का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि लोग अपने मास्क उतारकर फेंक सकते हैं। एलेना ने ऐसा क्यों कहा, इसका वैज्ञानिक आधार यहां जानें…
साइंस इंसाइडर में छपे एलेना के वक्तव्य के अनुसार, लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि कोरोना वैक्सीन लगने के बाद इसका शरीर पर कोई जादुई असर दिखेगा। क्योंकि यह वायरस को नियंत्रित करने के लिए बहुत जल्दी में तैयार की गई वैक्सीन होगी, जो वायरस के संक्रमण को रोकने का काम करेगी। हमें अभी उस दिशा में काम करने के लिए समय चाहिए कि ऐसी वैक्सीन का विकास किया जा सके, जो इस वायरस को पूरी तरह खत्म करने में सहायक हो।
क्या है कह रहे हैं डॉक्टर्स?
-कोरोना से ग्रसित मरीजों की देखरेख में जुटे डॉक्टर्स का कहना है कि अभी वे इस बात पर कोई स्पष्ट राय नहीं दे सकते कि वैक्सीन लगाने के बाद मास्क लगने की जरूत नहीं होगी। क्योंकि अभी तक वैक्सीन आई नहीं है, सभी जगह अभी वैक्सीन फाइनल स्टेज में ही हैं। फिर शुरुआती स्तर पर जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी, उनकी स्थिति का मूल्यांकन करते हुए ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा।
-मार्च के महीने से कोरोना संक्रमित मरीजों की देखरेख में लगे डॉक्टर वेदप्रकाश शर्मा का कहना है कि वैक्सीन को लेकर अभी अलग-अलग तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं। क्योंकि अभी वैक्सीन फाइनल रूप में तैयार होकर मार्केट में नहीं है तो इस बारे में कुछ भी कहना गलत है कि इसका प्रभाव कितने दिन में शरीर पर दिखने लगेगा और कितने समय तक शरीर को वायरस से सुरक्षा देगा। साथ ही यह भी कि इसका बूस्टर कब लगवाने की जरूरत होगी और जरूरत होगी भी या नहीं होगी!
-इस वक्त इस तरह की बातें अंतिम सत्य मानकर नहीं कही जा सकती हैं। अगर इस वायरस के बारे में अभी तक कोई अंतिम सत्य है तो वह सिर्फ यही है कि हमें इस वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी। यह वायरस लंबे समय तक हमारे साथ रह सकता है। इसलिए इसके संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समय-समय पर दी जा रही गाइडलाइन्स का पालन करें।