September 26, 2020
कोरोना पीड़ितों को मरने के बाद भी नहीं मिल रही शांति, जलाने के बाद तत्काल अस्थी उठाने के निर्देश

बिलासपुर. कोरोना काल में उपचार के अभाव में जान गंवाने वाले मृतकों को मरने के बाद भी शांति नहीं मिल रही है। प्रशासन की निगरानी में शव को जलाने के बाद आग भी ठंडी नहीं हो पा रही है और अस्थी उठाने को विवश किया जा रहा है। जलाने के दूसरे दिन अस्थी उठाकर परिजन आनन-फानन में अपनी व्यवस्था बना रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्था के आगे सभी को नतमस्तक होकर गुजरना पड़ रहा है। संक्रमण फैलने की आशंका में प्रशासन द्वारा अपने निर्धारित मुक्तिधाम में शवों का अंतिम संस्कार करवा रहा है। मरने वालों को अस्पताल से ही सीधे मुक्तिधाम ले जाया जा रहा है। रोती-बिलखती घर की महिलाएं अंतिम दर्शन तक नहीं कर पा रही हैं।
मरने वाले को चार कांधों में ले जाया जाता है, परिजन आखरी दर्शन में पूजा आरती कर मृतक को चार कंधो पर विदा करते हैं। मुक्तिधाम में विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार करते हैं। आस-पास पड़ोस के लोग मृतक को कांधा देकर अंतिम यात्रा में शामिल होते हैं। मुक्तिधाम में श्रद्धांजलि सभा कर सभी प्रबुद्धजन ईश्वर से कामना करते हैं और फिर वहां से वापस लौट आते हैं। परिजन मरने वाले को जलाने के बाद तीसरे दिन उसकी अस्थी एकत्रित कर घर लाते हैं। इसके बाद अस्थी को विसर्जन करने तीर्थ स्थल तक जाते हैं। वहां मृतक की आत्मा की शांति और स्वर्ग प्राप्ति के लिए पूजन करवाया जाता है। लेकिन कोरोना काल में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। कोरोना संक्रमण से मरने वालों को जलाने का लोग विरोध कर रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्था से लोग नाराज चल रहे हैं इसके बाद भी शासन प्रशासन द्वारा संक्रमण रोकने खुद व्यवस्था बनाने में जुटा हुआ है।
जूना बिलासपुर निवासी रमाकांत मिश्रा की धर्मपत्नी कल्पना मिश्रा को सांस लेने में हो रही तकलीफ के कारण उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया था जहां उपचार के दौरान उनका निधन बीते 24 सितंबर को हो गया। परिजनों को शासन द्वारा सीधे तोरवा स्थित मुक्तिधाम में बुलाया गया। मृतका के पति ने केवल रस्म अदा की बाकी सारा काम शासन द्वारा किया गया। वहां लाश को जलाया गया, दूसरे दिन फोन पर परिजनों को सूचना दी गई कि आप अस्थी एकत्र कर लें, क्योंकि यहां लाशों को जलाने के लिए जगह नहीं है। आनन-फानन में परिजन प्रशासनिक आदेश के तहत दूसरे दिन ही अस्थी समेटकर घर ले आये।
कोरोना काल में लोग एक दूसरे का सहयोग तक नहीं कर पा रहे हैं और तो और परिजन भी पीडि़त से मेल-मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। अस्पताल के भरोसे मरीजों का उपचार चल रहा है लोग लापरवाही का गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं। किसी भी मरीज को संदेश के दायरे में देखा जा रहा है, निजी अस्पतालों में मरीजों को दाखिला नहीं मिल पा रहा है। पीडि़त तिल-तिल कर मरने को बेबश है। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि बिना पॉजिटिव रिपोर्ट आये मरीज को कोरोना वार्ड में डाल दिया जा रहा है जहां पीडि़त का उपचार के अभाव में लगातार मौत हो रही है। मरने के दो दिन बाद मृतक की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है और प्रशासन मौन साधे बैठा हुआ है।