कोरोना वायरस की जांच का दावा करने वाले फेक Oximeter App से बचें, वर्ना होगा भारी नुकसान
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के दौर में पल्स ऑक्सीमीटर की मांग बढ़ती जा रही है. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. ऐसे में लोग घर पर ही ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन की मात्रा नाप रहे हैं. ऑक्सीमीटर की बढ़ती मांग के बीच अब इसे को लेकर एक नए तरह का फ्रॉड सामने आया है और वो है ऑक्सीजन लेवल मापने वाला मोबाइल ऐप.
‘आपके फोन में ऑक्सीमीटर’ शीर्षक के एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि मोबाइल ऐप के जरिए मोबाइल फोन के कैमरे पर उंगली रखकर आपके ऑक्सीजन लेवल और हार्ट रेट का पता लगाया जा सकता है.
मोबाइल नंबर पर एक मैसेज के जरिए पल्स ऑक्सीमीटर डाउनलोड करने की लिंक से फेक Oxymeter की Application बहुत से लोग डाउनलोड कर लेते हैं. जिसके बाद ऑक्सीजन लेवल जानने के लिए फिंगरप्रिंट मांगी जाती है और इसी के साथ आपका बीयोमेट्रिक और फोन दोनों सायबर अपराधियों की कठपुतली बन जाते हैं.
साइबर एक्सपर्ट्स पवन दुग्गल ने इन ऐप्स के खतरों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा है कि लोग इन ऐप्स को ऑक्सीमीटर का एक सस्ता विकल्प मानने की भूल कर बैठते हैं. ये ऐप्स अपना काम करने के लिए आपके फोन के कैमरा, फोटो गैलरी, एसएमएस इनबॉक्स का ऐक्सेस मांगते हैं. अगर आपने ऐसा किया, तो अनजाने में आप अपने फोन का सारा संवेदनशील डेटा उनके सामने रख देते हैं और आपके फोन में घुसने के लिए तो आप अपना फिंगरप्रिंट डीटेल दे ही चुके होते हैं.
वहीं, मेडिकल एक्सपर्ट राहुल भार्गव के मुताबिक, ‘ऐसा कोई सबूत नहीं है की कोई स्मार्टफोन टेकनोलॉजी क्लिनिकल यूज के लिए ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशेन की सही जानकारी देता है. ऐसे में मेडिकल रूप से सिद्ध ऑक्सीमीटर से ही अपना ऑक्सीजन लेवल नापना जरूरी है.
साइबर अटैक के पीछे या तो लालच होता है या फिर डर. इससे बचने का बस एक ही तरीका है कि कोई भी ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसके डेवलपर, रेटिंग, रिव्यूज, बग्स और कुल डाउनलोड्स की संख्या का पता जरूर लगा लें. महामारी के काल में अगर आप कोई भी हेल्थ ऐप डाउनलोड करते हैं तो उसका रिव्यू पहले पढ़ें और मेडिकल एक्सपर्ट से जानकारी लें कि क्या वाकई फोन ऐप से आपकी हेल्थ मॉनिटरिंग संभव है भी या नहीं? वरना आपके बायोमैट्रिक, फिंगरप्रिंट, बैंक अकाउंट और फोन का डेटा गलत हाथों में जाने में देर नहीं लगेगा.