कोरोना संकट के बीच चीन की आर्थिक कारगुजारियों को परखेगा भारत


बीजिंग. चीन अपनी चालबाजी से कभी बाज नहीं आता. कोरोना संकट (Coronavirus) के इस दौर में भी वह अपनी कारगुजारियों को अंजाम देने में व्यस्त है. चीनी निवेशक दुनिया भर की कंपनियों में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं. इसके मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया और यूरोप की सरकारों ने चीनी निवेशों की जांच शुरू कर दी है, वहां नियमों में संशोधन भी किया गया है. अब भारत भी चीनी निवेशकों को लेकर सतर्कता बरत रहा है. बाजार नियामक सेबी ने कस्टोडियन बैंकों से सभी चीनी निवेशों का विवरण मांगा है.

दरअसल, चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारतीय बैंक एचडीएफसी (HDFC) लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी की है. यह हिस्सेदारी अब 0.8 से बढ़कर 1.01 फीसदी हो गई है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं चीनी बैंक अधिग्रहण की रणनीति के तहत तो आगे नहीं बढ़ रहा? इसी को ध्यान में रखते हुए सेबी ने चीनी निवेश का विवरण माँगा है.

चीन के केंद्रीय बैंक के पास पहले एचडीएफसी में 0.8 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, लेकिन जैसे ही बाजार में नरमी का रुख हुआ और HDFC के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, उसने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 1.01 फीसदी कर ली. गौरतलब है कि एक प्रतिशत से कम की हिस्सेदारी का खुलासा नहीं किया जाता, और इसलिए पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना सेबी के रडार से बच निकलने में सफल रहा.

हालांकि, अब उसकी राह आसान नहीं होगी, क्योंकि भारत ने चीनी निवेशकों की जांच शुरू कर दी है. चीनी कंपनियों और बैंकों द्वारा लेन-देन पर अब बारीकी से नजर रखी जाएगी, खासकर तब जब शेयर के मूल्य में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की जाती है. मौजूदा और नए निवेश दोनों की जांच की जाएगी.

क्या है चीन का प्लान?
कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व में आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है. इसके मद्देनजर यह आशंका है कि चीनी निवेशक मौके का फायदा उठाते हुए दुनिया भर की ऐसी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे, जिनकी स्थिति शेयर बाजार में फ़िलहाल खास अच्छी नहीं है. ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बीजिंग के प्रभाव को बढ़ाया जा सके.

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