कोविड-19 को हराकर भी हार रहे हैं लोग, ये परेशानियां नहीं छोड़ रहीं पीछा

कोरोना वायरस (Coronavirus Infection) को मात देने के बाद भी लोगों को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ रहा है। इनमें ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याएं भी शामिल हैं…

कोरोना संक्रमण हमारे देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ ही ठीक होनेवाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। अब तक इस वायरस की चपेट में हमारे देश के करीब 55 लाख लोग आ चुके हैं। लेकिन 80 प्रतिशत से अधिक दर से रोगी इस संक्रमण से रिकवर भी कर रहे हैं। यानी ठीक हो रहे हैं।

खुशी बदल रही है गम में

-कोरोना वायरस को मात देकर जिंदगी की नई शुरुआत करना जीवन की जंग जीतने जैसा है। लेकिन यह खुशी कुछ ही दिन बाद एक नए तरह के गम में बदल जाती है।

-क्योंकि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज फेफड़ों में इंफेक्शन, सांस लेने में समस्या, बहुत अधिक कमजोरी, हड्डियों में दर्द, डायरिया और किडनी से संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

दोबारा घेर रहा है कोरोना संक्रमण

-अब तक यह माना जा रहा था कि जिस व्यक्ति को एक बार कोरोना हो जाएगा उसे इस वायरस के संक्रमण में दोबारा आने की संभावना खत्म हो जाएगी।

-लेकिन पिछले दिनों आई शोध रिपोर्ट्स और ताजा उदाहणों के जरिए यह बात पूरी तरह साफ हो चुकी है कि कोरोना वायरस कुछ ही समय बाद इस बीमारी से ठीक हो चुके मरीज पर अटैक कर सकता है।

मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं

-कोरोना से ठीक हो चुके रोगियो में जिस तरह की शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं, उनके बारे में हम आपको ऊपर बता चुके हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस सिर्फ शारीरिक समस्याएं ही दे रहा है।

-बल्कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में मानसिक समस्याएं भी बड़े स्तर पर देखने को मिल रही हैं। इनमें तनाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, फोकस की कमी जैसी समस्याएं लोगों को परेशान कर रही हैं।

स्किन प्रॉब्लम्स

-कोरोना को मात दे चुके लोग बड़ी संख्या में त्वचा पर रैशेज की समस्या से जूझ रहे हैं। तो कुछ लोगों को स्किन टोन में अंतर महसूस हो रहा और कुछ लोग त्वचा में रुखेपन की शिकायत कर रहे हैं। हालांकि ऐसा दवाओं के असर या कमजोरी के कारण भी हो सकता है।

इस कारण बढ़ रही है समस्या

-कोरोना वायरस को हराकर ठीक हो चुके लोगों के शरीर में जब तक इस वायरस के खिलाफ ऐंटिबॉडीज अच्छी मात्रा में रहती हैं, तब तक ये इस वायरस के दोबारा आक्रमण से सुरक्षित रहते हैं। लेकिन करीब 3 महीने के अंदर ही ये ऐंटिबॉडीज पूरी तरह खत्म हो जाती हैं। इस कारण दोबारा संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।

-इसके साथ ही शरीर में कमजोरी होने के कारण इन लोगों को गले से संबंधित समस्याएं, खांसी, श्वांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं फिर से होने लगती हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें। खासतौर पर खान-पान और हाइजीन को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें।

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