गांधी परिवार की SPG सुरक्षा हटाने पर कांग्रेस का हंगामा, स्‍वामी बोले- विरोध करने वाले कोर्ट जा सकते हैं

नई दिल्ली. गांधी परिवार (Gandhi Family) और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की एसपीजी (SPG) सुरक्षा हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में प्रदर्शन किया और सरकार से उनकी सुरक्षा बहाल करने की मांग की. पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा कि चारों नेताओं की एसपीजी सुरक्षा बहाल किया जाना राष्ट्रहित में है. शर्मा ने कहा कि पार्टी के चारों नेताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा, और जीवन को खतरा है और सरकार को पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर उठकर इन नेताओं की एसपीजी सुरक्षा बहाल करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, “कृपया इससे ऊपर उठिए, समीक्षा कीजिए और बहाल कीजिए. यह राष्ट्रहित में है अन्यथा आज, कल और भविष्य में आपकी मंशा पर सवाल उठेंगे.” शर्मा ने नियम 267 के अंतर्गत सभापति एम. वेंकैया नायडू को एक नोटिस भी दिया.

दरअसल, कांग्रेस पार्टी अपने चार शीर्ष नेताओं की एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने का मुद्दा उठा रही है. इसने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाते हुए सरकार के निर्णय की समीक्षा करने की मांग की थी. मोदी सरकार ने हालांकि अपना निर्णय बदलने से इंकार कर दिया है. मोदी सरकार का कहना है कि ऐसे निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा खतरों की पूरी समीक्षा के आधार पर लिए जाते हैं और इसमें कोई राजनीतिक पक्षपात नहीं हुआ है.

एसपीजी सुरक्षा बहाल करने की मांग करते हुए कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री 10 साल तक कार्यकाल में रहे. सोनिया गांधी संप्रग की अध्यक्ष होने के साथ-साथ शहीद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहु और शहीद प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी हैं. आनंद शर्मा ने कहा, “इसलिए, खतरे की संभावना का मूल्यांकन आसानी से किया जा सकता है. उनसे एसपीजी कवर हटने से उन पर खतरा बढ़ गया है.” उन्होंने कहा कि इसके अलावा अपने नेताओं की रक्षा करना देश की जिम्मेदारी होती है.

उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि जब संप्रग सत्ता में था, मैं कोई राजनीतिक बात नहीं कह रहा, लेकिन तब 10 साल तक अटल विहारी बाजपेयी समेत पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा से कोई छेड़खानी नहीं हुई. सभी सुरक्षा प्राप्त लोगों की सुरक्षा न कम की गई और न ही वापस ली गई.”

उधर, गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि इसपर आपत्ति जताने वाले कोर्ट में इसे चुनौती दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि संप्रग कार्यकाल में भी कुछ नेताओं की सुरक्षा घटाई गई थी.

स्वामी ने राज्यसभा में कहा, “हमेशा से गृह मंत्रालय के अंतर्गत एक विशेष कमेटी होती है जो यह निर्णय लेती है और अगर इसमें किसी को कोई शक है तो वह कभी भी कोर्ट जा सकता है और इसे चुनौती दे सकता है.” राज्यसभा सांसद ने कहा कि ‘गांधी परिवार को खतरा मुख्य रूप से लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) द्वारा राजीव गांधी की हत्या किए जाने पर ही पैदा हुआ था और अब यह खत्म हो गया है.’

इसके लिए उन्होंने दो कारणों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि एक तो अब लिट्टे ही नहीं है और दूसरा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए लोगों के प्रति सुरक्षा प्राप्त लोगों (सोनिया गांधी और परिवार के अन्य सदस्य) का आचरण वैसा कुछ नहीं है. स्वामी ने कहा, “सोनिया गांधी ने खुद राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें (दोषी ठहराए गए और फांसी की सजा पाए) फांसी नहीं दी जानी चाहिए.” इसपर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उन्हें गैर जरूरी मुद्दा नहीं उठाने के लिए कहा.




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