चिटफंड कंपनियों द्वारा लूट का मामला उठाते हुए केंद्र सरकार से कठोर कानून बनाने की मांग सांसद अरुण साव ने

बिलासपुर. बिलासपुर लोकसभा सांसद अरूण साव ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चिटफंड एवं फर्जी बीमा कम्पनियों के द्वारा की लूट का मामला उठाते हुए केन्द्र सरकार से कठोर कानून बनाने की मांग की। सांसद श्री साव ने लोकसभा में सरकार से पूछा कि ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चिटफंड कम्पनियां और फर्जी बीमा कम्पनियां काम कर रही है जो निवेश के नाम पर लोगों को आकर्षित करके उनसे भारी भरकम राशि संग्रह कर गायब हो जाती है ऐसी कम्पनियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जा रही है क्या सरकार ऐसी कम्पनियों के खिलाफ कोई कठोर कानून बनाने जा रही है? इस संबंध में बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु क्या कार्यवाही की गई है।सांसद श्री साव द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीता रमण ने बताया कि अप्राधिकृत योजनाओं पर रोक लागने तथा आमजनों को उनकी मेहनत की कमाई से वंचित होने से रोकने अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अध्याधेश 2019 21-02-2019 से लागू किया गया इस अध्यादेश में गैरकानूनी रूप से जमा स्वीकार करने के कार्यकलापों के संबंध में कार्यवाही करने तथा जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए व्यापक उपबंध किए गए है। इस अध्यादेश में प्रतिवारक के रूप में कठोर दण्ड तथा भारी आर्थिक दण्ड का भी उपबंध किया गया है। साथ ही 29 राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों ने लोगों से गैर कानूनी रूप से धनराशि एकत्र करने वाली संस्थाओं के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम पारित किया गया है। आरबीआई द्वारा अपने वेबसाइट पर तथा सामाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन पर विज्ञापन देकर पौंजी योजनाओं के संबंध में लोगों को सचेत किया जा रहा है। इस प्रकार से भी अधिनियम 1992 में सेबी को कार्यवाही करने तथा आदेश करने की शक्तियां प्राप्त है। इसी तरह ईडी को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 और भगौड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 के उपबंधों को लागू करने तथा उनके उल्लंघन की जांच करने के लिए अधिदेशित किया गया है। साथ बीमा अधिनियम 1938 की धारा 103 को संशोधित कर बिना पंजीयन प्रमाण-पत्र के बीमा कारोबार करने वाले व्यक्ति केक लिए दण्ड के प्रावधान को 5 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ एवं कासावास की अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। इस प्रकार सरकार द्वारा ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए गए ।