चीन की मदद से पाकिस्तान ने शुरू किया विवादास्पद डायमर-भाषा बांध का निर्माण
इस्लामाबाद. भारत-चीन (India-China) तनाव के बीच पाकिस्तान (Pakistan) ने विवादास्पद डायमर-भाषा बांध (Diamer-Bhasha dam) का निर्माण शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि उनकी सरकार देश के इतिहास में सबसे बड़ा बांध बनाएगी. विवादस्पद डायमर-भाषा बांध के निर्माण में चीन (China) पाकिस्तान को सहायता प्रदान कर रहा है.
बांध गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) में सिंधु नदी पर बनाया जाएगा, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में है. इसके 2028 में पूरा होने की उम्मीद है. यदि निर्माण कार्य सफल होता है तो यह दुनिया का सबसे ऊंचा रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट बांध होगा. बांध से पाकिस्तान को सस्ती बिजली मिलेगी और रोजगार पैदा होंगे.
पिछले चार दशकों में चार पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों द्वारा इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया है, लेकिन निर्माण कार्य अब जाकर शुरू हो पाया है. दरअसल, इस प्रोजेक्ट को उच्च लागत, भारत के साथ क्षेत्रीय विवाद और स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. परियोजना की अनुमानित लागत $14 बिलियन है. पाकिस्तान इसके लिए लंबे समय से धन की व्यवस्था करने में जुटा है.
1980 के बाद से यह विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और पश्चिमी सहयोगियों से आर्थिक मदद की गुहार लगाता रहा है, लेकिन सभी ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि प्रोजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है. 2018 में आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तान के शीर्ष न्यायाधीश ने परियोजना को शुरू करने के लिए लोगों से पैसा जुटाने का अभियान चलाने का आदेश दिया था, मगर जरूरत के मुताबिक धन की व्यवस्था नहीं हो सकी. इसके बाद पाकिस्तान ने चीन का रुख किया, जिसके सहयोग से अब बांध का निर्माण कार्य शुरू हुआ है. बांध को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा बनाया गया है.
इमरान खान भले ही इसे राष्ट्रीय गौरव का विषय बता रहे हैं, लेकिन हकीहत यह है कि डायमर-भाषा बांध एक चीनी बांध होगा, क्योंकि इसमें 70 फीसदी हिस्सेदारी चीन की है. भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध करता आया है. उसका कहना है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं शुरू करना ठीक नहीं है. वहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं. इस बांध के चलते अकेले डायमर जिले के 32 गांवों के जलमग्न होने की आशंका है
और लगभग 50,000 लोग विस्थापित होंगे. जो लोग पहले ही अपनी जमीन खो चुके हैं, उन्हें भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.
डायमर-भाषा बांध इस क्षेत्र की एकमात्र विवादास्पद परियोजना नहीं है. आजाद पत्तन (Azad Pattan) और कोहाला पनबिजली परियोजना (Kohala hydroelectric) का भी विरोध हो रहा है, इसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बांध बनाये जा रहे हैं. भारत के साथ ही स्थानीय लोग भी इन परियोजनाओं के खिलाफ हैं, लेकिन पाकिस्तान चीन के सहयोग से इन्हें अंजाम देने में लगा है.