चीन की राजनीतिक में बहुत बड़ा तूफान और सुनामी आने वाली है : अतुल सचदेवा

ताइवान ने चीन के फाइटर प्लेन को मार गिराया है चीन की राजनीतिक में एक बहुत बड़ा तूफान आ गया है चीन की राजनीतिक चर्चाओं हो रही है चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कई नेताओं ने भी इस पर सवाल उठा दिया है राष्ट्रपति जिनपिंग के ऊपर सवाल करने लग गए हैं उन्हीं की पार्टी के नेता अब लगता है  चीन में एक कम्युनिस्ट पार्टी में एक विद्रोह होना जायज है इससे चीन और भारत में जो लद्दाख में सैनिकों के बीच में जो झड़प हुई थी उस कारण भी चीन के कई राजनीतिक लोग इस बात को राष्ट्रपति के सामने रख चुके हैं चीन की जनता भी इस बात को मान गई है चीन अब  भारत से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं।
उधर अमेरिका ने भी साऊथ चाइना Sea  में अपना जो दबदबा है  American  जितने भी जंगी जहाज और जंगी बेड़े और वायु सेना और नौसेना को पूरा तैनात कर रखा था।  ताइवान ने अपने ही सीमा में चीनी फाइटर के घुसने के के कारण उस फाइटर प्लेन को मार गिराया है। चीन की राजनीतिक मैं एक बहुत बड़ा बदलाव आने लगा है।  चीन के कुछ बड़े  नेता जो पार्टी में  हैं वह राष्ट्रपति जिनपिंग से उनके इस्तीफे की भी मांग कर सकते हैं उससे प्रश्न भी कर सकते हैं।
चीन की विदेश नीति अब कई देश इस बात को समझ चुके हैं चीन सरकार अपने बैंकों उनको लोन देकर उनको  बैंकों से लोन देकर चीन अपनी फैक्ट्री का माल वहां भेजकर उस देश में भेज कर बजारो  में कब्जा करता है धीरे धीरे अर्थव्यवस्था पर कब्जा कार्यक्रम Development  के नाम पर उनके देशों  जमीनों में कब्जा करता है इसका कई उदाहरण है जैसे अफ्रीकी देशों में भी उसने पूरी अर्थव्यवस्था पर कब्जा किया हुआ है।  ताइवान से उसका ही हमेशा विवाद रहा है वितनाम से भी विवाद ,भारत से भी हमेशा सीमा को विवाद रहा है और मंगोलिया, रूस से भी।  सोवियत संघ की तरह अब चीन में  विभाजन होना तय लगता है। इसके भी सोवियत संघ की तरह चीन के पांच से छह टुकड़ों में विभाजन हो सकता है।
हांगकांग में जिस तरह चीन के खिलाफ  वहां की जनता का विरोध किया जा रहा है हांगकांग के चीनी सैनिकों और सरकार के खिलाफ हांगकांग की जनता सड़कों पर उतर आई है चीन की सरकार कुछ राजनीतिक सामाजिक समीकरण समझ नहीं आ रही है।
अमेरिका को सबसे ज्यादा चिंता अपनी अर्थव्यवस्था की है इसलिए वह South चाइना Sea  में अपनी पूरी सेना का जोर लगाकर वहां बैठा हुआ है अमेरिका को एक डर लगा हुआ उसकी अर्थव्यवस्था को चीन कभी भी खराब कर सकता है अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों में चीन का बहुत बड़ा निवेश हो चुका है Covid19  के  Time  में चीन ने बहुत बड़ा निवेश अमेरिका की कई कंपनियों में किया है।
 साथ ही यूरोपीय कई कंपनियों में उसने अपना निवेश बढ़ा दिया है यूरोप और अमेरिका के कई देशों को लग रहा है  चीन किसी  भी देश की भी अर्थव्यवस्था को किसी भी टाइम खराब कर सकता है यही कारण है कि  सभी देशों  चाहते हैं कि चीन को किसी तरह से विश्व के मानचित्र में उसका रंग बदला जाए  सभी का यही मत है  सोवियत संघ की तरह इसके चार से पांच भागों  का विभाजन हो सकता है चार पांच देश चीन से निकलकर नए  देश बन जाएगा।
भारत में भी चीन पर केई प्रतिबंध लगा है 160 से भी अधिक चीनी Mobile Apps  बंद कर दिए हैं जिससे चीन की करोड़ों रुपया जो भारत से वह हर साल  कमाता था उस पर एक लगाम लगी है चीन की कम्पनीयो  सालों से करोड़ों रुपए का लाभ  भारत से उसको मिलता था करोड़ों रुपए  बंद हो गया है । चीन इसलिए वह इस टाइम डरा हुआ महसूस कर रहा है  भारत में उसकी आर्थिक नाकेबंदी हो रही है।
चीन की अपनी राजनीतिक में भी जो उसकी कम्युनिस्ट पार्टी है उसमें भी जिंगपिंग के खिलाफ लगभग जाना तय है लगता है राजनीतिक मे  कुछ भी हो सकता है अंदर-अंदर भी कुछ बहुत राजनीतिक हालात को देखते हुए बड़े-बड़े जो चीनी नेता है  राजनीतिक बदलाव चीन से अलग होने के लिए प्लानिंग और पार्टी में विद्रोह कर सकते हैं।
                                                                                                                                       -लेखक वरिष्ठ पत्रकार है

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