चीन के साथ तनातनी के बीच वायुसेना प्रमुख ने अग्रिम अड्डे पर तैयारियों का जायजा लिया


नई दिल्‍ली. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने गुरुवार को पश्चिमी कमान में एक अग्रिम अड्डे पर वायु सैनिकों से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर “पूरी तरह से सतर्कता’’ बनाए रखने को कहा. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. पश्चिमी कमान पर संवेदनशील लद्दाख क्षेत्र के साथ-साथ उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी है. वायुसेना प्रमुख ने एक मिग-21 बाइसन जेट विमान में उड़ान भी भरी और क्षेत्र में बल की अभियानगत तैयारियों की व्यापक समीक्षा की.

वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तीन महीने से अधिक समय से चल रहे गतिरोध के मद्देनजर पश्चिमी कमान के तहत अपने सभी अड्डों को “अति सतर्क’’ रखा है. वायुसेना ने एक बयान में कहा कि वायुसेना प्रमुख ने सैनिकों से आग्रह किया कि वे पूरी तरह से सतर्कता बनाए रखें. बयान में उस अड्डे का नाम नहीं दिया गया है.

इसमें कहा गया है कि वायुसेना प्रमुख ने दिन भर की यात्रा के दौरान अभियानगत तैयारियों की समीक्षा की और अग्रिम पंक्ति में काम करने वाले वायु सैनिकों के साथ बातचीत की. बयान में कहा गया है कि उन्होंने मौजूदा कोविड​​-19 महामारी के दौरान वायुसेना की लड़ाकू क्षमता कायम रखने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की.

अधिकारियों ने कहा कि एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने मिग- 21 बाइसन विमान में उड़ान भरने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अड्डे की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की. रूसी मूल का मिग-21 बाइसन एकल इंजन वाला सिंगल सीटर लड़ाकू विमान है जो कई दशकों तक भारतीय वायुसेना की रीढ़ था. साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिग- 21 ने अहम भूमिका निभाई थी.

पिछले सप्ताह, वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा ने क्षेत्र में बल की अभियान संबंधी तैयारियों का जायजा लेने के लिए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कई अड्डों का दौरा किया था. एयर मार्शल सिंह ने दौलत बेग ओल्डी में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अड्डे का भी दौरा किया था, जो दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी में से एक है. वह अड्डा 16,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है.

एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने जून में वायुसेना की समग्र तैयारियों की समीक्षा के लिए लद्दाख और श्रीनगर अड्डों की यात्रा की थी. वायुसेना ने पिछले दो महीनों में सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अपने सभी प्रमुख युद्धक विमानों को पूर्वी लद्दाख में सीमावर्ती अड्डों, ठिकानों और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं.

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