चीन से विस्थापित कंपनियों की पहली पसंद बन सकता है UP, सीएम योगी ने कवायद की तेज


नई दिल्ली. कोरोना (Coronavirus) की इस महामारी के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) ने कई देशों और प्रदेशों की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है. ऐसे में बात जब चाइना (China) की होती है तो अर्थव्यवस्था की दृष्टि से वहां संकट के बादल और गहरा रहे हैं. चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस अब पूरे विश्व में फैला चुका है. ऐसे में चीन में निवेश करके व्यापार करने वाली कई बड़ी कंपनियों ने अपना बोरिया बिस्तर लपटने का मन बना लिया है. अगर ऐसा होता है तो भारत निवेशकों के लिए दूसरी बड़ी पसंद हो सकता है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपने यहां चीन से विस्थापित कंपनियों को बुलाने की कवायद शुरू कर दी है.

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अक्सर यह कहते हैं कि वो चुनौतियों को भी अवसर में बदलने की कोशिश करते हैं. शायद इसीलिए अब उन्होंने चीन से विस्थापित कंपनियों को अपने यहां रिझाने का मन बना लिया है. बताते चलें कि इस कवायद के पीछे जापान से आई वो खबर है जिसमें जापान सरकार ने ढाई बिल्यन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है ताकि जापान की उन कंपनियां (जो चाइना से हट कर किसी और देश में स्थापित होना चाहती है) को पैसे की कमी या नुकसान के डर ऐसा करने से रुक न जाये. इसी के बाद से साउथ कोरिया के भी कुछ बड़े ग्रुप्स ने चीन से हटकर अपने प्लांट लगाना शुरू करने की इक्षा जाहिर की है.

ऐसे में यदि यह कंपनियां भारत का रुख करती है तो उत्तर प्रदेश सरकार अपनी आकर्षक पॉलिसी से इन कंपनियों को रिझाना चाहती है. इन ही संभावनाओं को तलाशने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडस्ट्री मंत्री सतीश माहाना और एमएसएमई मंत्री सिधार्थनाथ सिंह की निगरानी में एक समिति को यह जिम्मा सौंपा है. एमएसएम मंत्री सिद्धार्थनथ सिंह ने कहा कि यदि चीन से विस्थापित होने वाली कंपनियां भारत में निवेश करने के बारे में सोचेंगी तो तो हम अपने प्रदेश में जो उद्योग स्थापना को प्रोत्साहन देने हेतु पॉलिसी हैं उसमे कुछ बदलाव करके उन कंपनियों को अपने प्रदेश मे लाने कि कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में पॉलिसी में जरूरी बदलाव पर चर्चा शुरू हो गई है.

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पिछले तीन साल से प्रदेश की छवि को सुधारने को लेकर तमाम फैसले ले रही है. उसी कड़ी में इन्वेस्टर समिट का भी आयोजन 2018 के शुरुआत में किया गया. उसके बाद उस समिट में साइन हुए एग्रीमेंट को जमीन पर उतारने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई. उसी कड़ी में दो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरिमनि का आयोजन किया गया. ऐसे ही फिर डिफेंस एक्स्पो का भी आयोजन किया गया है. इस बार भी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महामारी के इस चुनौतीपूर्ण दौर में भी अवसर की तलाश करने को लेकर संजीदा हैं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी गुरुवार को ही दोनों मंत्रियों और सदस्यों के साथ उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के बाद आर्थिक विकास की संभावनाओं पर बैठक भी की.

सूत्रों कि मानें तो एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थनथ सिंह जो कि निवेश मंत्री भी हैं कई कंपनियों से चर्चा भी शुरू कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि दो कंपनियां साउथ कोरिया की हैं, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक्स की है तो दूसरी मेडिकल ईक्विपमेंट की है. वहीं कुछ एक-दो कंपनियां अमरीका की भी बताई जा रही हैं. सूत्र बताते हैं कि इन कंपनियों में अमेरिका की एक जानी-मानी मोबाइल कंपनी भी शामिल है. हालांकि यह सारी कवायद तब ही फलीभूत होगी जब यह कंपनियां चाइना से विस्थापित होने का फैसला लेती है और भारत को दूसरा पसंदीदा स्थान अपनी यूनिट लगाने के लिए चुनती हैं. अगर योगी सरकार इन कंपनियों को रिझाने में सफल होती है तो यह उत्तर प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी जीत होगी. ऐसे होने की स्थिति में उत्तर प्रदेश की एक बड़ी आबादी को रोजगार की समस्या का समाधान भी मिल जाएगा.

चार्टर्ड एकाउंटेंट और उत्तर प्रदेश डेव्लपमेंट फॉरम के महासचिव पंकज जयसवाल का मानना है कि यूपी में आज इस बात की ज्यादा संभावना है क्यूंकि अब उत्तर प्रदेश में पहले जैसा पॉलिसी पैरालिसिस नहीं है. दूसरा यहां पर सस्ता मैन पावर भी है जो को विदेशी कंपनियों को बहुत भा सकता है. यूं तो तस्वीर साफ होने में अभी वक्त लगेगा पर लॉकडाउन के बाद उत्तर प्रदेश आर्थिक रूप से किस तरह से विकास करें, इसके मॉडल को लेकर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पहल कर दी.

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