छत्तीसगढ़ की पहचान है कोसा : श्रीमती रश्मि सिंह


बिलासपुर.धान के कटोरा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की पहचान कोसा के लिए भी है। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा कोसा उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार प्रयासरत् है। यह उदगार महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग की संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि सिंह ने आज कोसा उत्पादक महिला समूह की जागरूकता के लिए आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किया। नर्मदानगर स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित कार्यशाला की मुख्य अतिथि श्रीमती सिंह ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोसा पालन स्वरोजगार का एक बढ़िया माध्यम है। इसे पीढ़ी दर पीढ़ी अपनाकर हितग्राही आत्मनिर्भर हो रहे है। गौठानों मंे पशुपालन, कुक्कुट पालन के साथ रेशम कीट पालन की व्यवस्था हो।


उन्होंने जिले के बड़े गौठानों में रेशम पालन हेतु वृक्षारोपण का प्रस्ताव देने विभागीय अधिकारियों से कहा जिससे आने वाली पीढ़ी को रोजगार मिलेगा। उन्होंने महिलाओं से कहा कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के अनुरूप आजीविका चलाने के लिए परम्परागत कार्याें को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। सजगता और जागरूकता से योजनाओं का लाभ लें। आर्थिक सुदृढ़णीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने के साथ महिलाओं को भी सुविधाएं मिली है। घरेलु कार्य अब उनके लिए आसान हुआ है जिससे समय की बचत हो रही है। इस समय को आर्थिक विकास के लिए उपयोग करें जिससे उनका परिवार बेहतर जिंदगी जी सके।

कार्याशाला में उपस्थित जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह चैहान ने कहा कि छत्तीसगढ़ में रेशम उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए यह कार्यशाला उपयोगी है। जिले के विकास का आधार कृषि आधारित उद्योग है। इसको बढ़ावा देने से किसान भी खुशहाल होंगे। कार्यशाला के प्रारंभ में रेशम विभाग के अपर संचालक श्री राजेश बघेल ने कार्यशाला के उद्देश्य में प्रकाश डालते हुए कहा कि कोसा पालन के जो परिणाम हितग्राहियों को मिल रहे हैं, वह उनके लिए प्रेरणा बनेगी, जो कोसा पालन कर आय प्राप्त करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि रेशम पैदा करने के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा वैज्ञानिक तकनीक की जानकारी लगातार प्रदान की जाती है।

जिससे अच्छी गुणवत्ता का कोसा उत्पादन किया जा सके। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ पहला प्रदेश है जहां ताना धागा बनाने का कारखाना स्थापित किया गया है और यह सफलतापूर्वक संचालित है। हर संभाग में यह यूनिट स्थापित किया जायेगा। बिलासपुर जिले में भी यूनिट स्थापना के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे उच्च गुणवत्ता का शुद्ध कोसा कपड़ा प्राप्त होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। कार्यशाला में कोसा फल उत्पादन कर विक्रय करने वाले हितग्राहियों को 19 लाख रूपये सेे अधिक राशि का चेक वितरित किया गया। आभार प्रदर्शन जिला रेशम अधिकारी श्री उईके ने किया। कार्यशाला में केन्द्रीय रेशम बोर्ड, रेशम विभाग के अधिकारी सहित जिले के शासकीय टसर केन्द्र लमेर, गोबंद, नेवरा, बांसाझाल, करका, जोगीपुर, मेण्ड्रापारा, सीस, गढ़वट, बाम्हू, अकलतरी, खैरा आदि गांवों के लगभग 250 हितग्राहियों ने भाग लिया।

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