जटिल हृदय की सर्जरी से डेढ़ साल की बच्ची की माँ को मिला नया जीवन


बिलासपुर. अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर ने जटिल बैंटाल प्रकिया को पूरा करने के माध्यम से हृदय की सर्जरी में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। कोविड के संदिग्ध लक्षण, मार्फेन सिंड्रोम एवं वॉल्व में खराबी के साथ संभवतः यह मध्यभारत की अपने तरह की पहली सर्जरी है। यह एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है और एक चिकित्सा आपातकाल भी है। डॉ. अनुज कुमार, कॉडियोथोरोसिक सर्जन अपोलो हॉस्पिटल्स बिलासपुर एवं इनकी टीम ने इस दोहरी जटिलता वाली बंेटाल सर्जरी को लगभग 13 घण्टों में पूरा किया रोगी श्रीमति प्रियंका झा, आयु 26 वर्ष ने डॉक्टरों की टीम का आभार व्यक्त किया एवं बताया की मैंने जीवित रहने की सभी आशाओं को खो दिया था। मैं 29 तारिख को सांस में तकलीफ को लेकर अपोलो हॉस्पिटल आयी थी सीटी स्केन करने के उपरांत कोविड के संदेह के साथ मुझे मेरी इस गंभीर बीमारी के बारे में पता लगा, मेरी डेढ़ साल की बच्ची है। मुझे उसकी बहुत चिंता हुई। मुझे जब इस स्थिति का पता चला तो मुझे लगा की मेरी दुनिया खत्म हो गई है, लेकिन अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर अनुज कुमार ने मुझे आत्मविश्वास और आशा दी। जो मुझे आज दुनिया का सामना करने के लिये एक स्वस्थ व्यक्ति बनाता है। मुझे एक नया जीवन देने के लिये अपोलो के डॉक्टरों हृदय से धन्यवाद।


डॉ. अनुज ने बताया कि प्रियंका के केस में सीटी स्केन एवं ईको करने पर पता चला की हृदय से निकलने वाल मुख्य नली जो पूरे शरीर में खून की सप्लाई करती है अत्यधिक फैल गई है और कभी भी फटकर जानलेवा साबित हो सकती है और साथ ही वॉल्व की खराबी साथ ही सीटी स्कैन में कोविड का संदेह इसे और जटिल कर रहा था। खतरों के उचित मुल्यांकन एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उपरांत हृदय की जटिलतम सर्जरी बैंटाल का निर्णय लिया गया। मुख्य नली के साथ समस्याओं को ठीक करने के लिये इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है- संक्षिप्त में मुख्य नली को कृत्रिम नली से बदल दिया जाता है। यह सर्जरी अपने आप में हृदय की जटिलतम सर्जरी में गिनी जाती है, महानगरों एवं विदेशों में भी इस सर्जरी के दौरान जान का जोखिम बना रहता है। संपूर्ण शल्य चिकित्सा के दौरान कॉर्डियक एनेथेसिस्ट डॉ. रवि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। परफ्यूसनिस्ट संजय श्रीवास्तव एवं संपूर्ण कॉर्डियोथोरोसिक टीम के अलावा कॉर्डियोलॉजी डॉ. आरएल भांजा, इंटरनल मेडिसिन डॉ. विजय श्रीवास एवं रेडियोलॉजिस्ट डॉ. पवन गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।

अपोलो बिलासपुर के युनिट हेड डॉ दीपज्योति दास ने बताया की ये कार्य कोविड महामारी के दौरान और भी चुनौतिपूर्ण रहा अब तक इस प्रकार की अत्यधिक जटिलतम हृदय शल्य चिकित्सा केवल महानगरों में ही संभव थी। इसके पहले भी एंडोवैर्स्कुलर स्टैटिंग एवं लेजर से वेरीकोस वेन का इलाज जैसी जटिलतम शल्य प्रक्रियाएं अपोलो बिलासपुर में सफलतापूर्वक हो चुकी है। इस प्रकार की जटिलतम सर्जरियों का सफलतापुर्वक होना अंचल के लिये वरदान से कम नही है। राज्य के निवासी इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। डॉ. दास ने बताया कि इस सर्जरी को सफलतापूर्वक करके हमारी कॉर्डियक टीम ने ये साबित कर दिया है कि अब राज्य के लोगो को हॉर्ट कि किसी भी सर्जरी के लिये महानगरों का रूख करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने संपूर्ण कॉर्डियोथोरोसिक टीम एवं अपोलो परिवार के सभी सदस्यों को इस अवसर शुभकामनाएं दी।

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