जन्मदिन विशेष : दक्षिण से बनने वाले देश के पहले PM थे नरसिम्हा राव, आती थीं 17 भाषाएं
नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून साल 1921 को तेलंगाना के वारंगल जिले में हुआ था. अंग्रेजों के जमाने में ये जगह हैदराबाद स्टेट में आती थी. नरसिम्हा राव 17 भाषाएं बोल सकते थे. इनमें से 9 भारतीय और 8 विदेशी भाषाएं थीं. नरसिम्हा राव को ‘Father of Indian Economic Reforms’ यानी ‘भारत के आर्थिक सुधारों का जनक’ कहा जाता है.
नरसिम्हा राव से पहले चंद्रशेखर भारत के प्रधानमंत्री थे. चंद्रशेखर के कार्यकाल में भारत दिवालिया होने की कगार पर खड़ा था. कर्ज चुकाने के लिए भारत को अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था. ये भारत के लिए बहुत शर्मनाक स्थिति थी. भारत की अर्थव्यवस्था को इस खराब दौर से बाहर निकालने का श्रेय नरसिम्हा राव को जाता है.
भारत की विदेश नीति को विस्तार देने में भी उनका बहुत बड़ा योगदान था. आज हम भारत की विदेश नीति का जो विस्तार देख रहे हैं, उसकी शुरुआत नरसिम्हा राव ने ही की थी. कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि नरसिम्हा राव भारत के बहुत दूरदर्शी प्रधानमंत्री थे. नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति के विस्तार की प्रक्रिया को शुरू किया था. साल 1992 में नरसिम्हा राव ने इजराइल के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देना शुरू किया. उन्होंने अपने कार्यकाल में इजराइल के साथ भारत के रिश्तों को आधिकारिक रूप दिया.
1990 के पहले भारत की विदेश नीति सोवियत संघ की तरफ झुकी हुई थी लेकिन दूरदर्शी नरसिम्हा राव ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को बहुत मजबूत किया. साल 1992 में भारत और अमेरिका ने मिलकर Malabar Naval Exercise शुरू की थी. आज जापान भी इसमें शामिल होता है. नरसिम्हा राव इस बात को पहले ही समझ चुके थे कि हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका को साथ लाना बहुत जरूरी है.
लुक ईस्ट पॉलिसी भी नरसिम्हा राव ने ही शुरू की थी. इस नीति के तहत भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लुक ईस्ट पॉलिसी को एक्ट ईस्ट पॉलिसी के रूप में आगे बढ़ाया. इसी नीति के माध्यम से आज भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों जैसे वियतनाम, लाओस, इंडोनेशिया, कंबोडिया और थाईलैंड के बीच रिश्ते मजबूत हो रहे हैं.