जिन देशों की कमान महिलाओं के हाथों में, कोरोना से जंग में उनका रिकॉर्ड बेहतर
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (coronavirus) से लड़ाई में वे देश ज्यादा बेहतर कर रहे हैं, जिनकी कमान महिलाओं के हाथों में हैं. यानी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद पर जहां महिलाएं विराजमान हैं. इन देशों ने समय रहते जरूरी उपाय किए और महामारी को विकराल रूप धारण करने से रोक दिया.
उदाहरण के तौर पर जर्मनी को ही लें. कोरोना संकट को देखते हुए जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने देशवासियों से कहा था कि COVID-19 देश की 70 फीसदी आबादी को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, वायरस ने जर्मनी में बड़े पैमाने पर लोगों को संक्रमित किया, लेकिन मरने वालों की संख्या यहां पड़ोसी देशों के मुकाबले काफी कम है. इसकी वजह एंजेला मर्केल द्वारा तुरंत उठाए गए कदम रहे. जर्मनी में बढ़ते मामलों को देखते हुए व्यापक स्तर पर टेस्टिंग शुरू की गई, बड़ी संख्या में इंटेंसिव केयर बेड तैयार किए गए.
इसी तरह राष्ट्रपति साई इंग-वेन के नेतृत्व में ताइवान कोरोना से जंग में खुद को काफी बेहतर स्थिति में पहुंचाने में सफल रहा. महामारी के खतरे को देखते हुए साई इंग-वेन के निर्देश पर ताइवान द्वारा महामारी कमांड सेंटर स्थापित किया, फेस मास्क जैसे व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण के उत्पादन में तेजी लाई गई और सुरक्षा के लिहाज से चीन, हांगकांग और मकाऊ से सभी उड़ानों को प्रतिबंधित किया गया. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 124 उपाय लागू किए गए, लेकिन लॉकडाउन उसका हिस्सा नहीं था. कोरोना से खुद की हिफाजत करने के साथ ही ताइवान अब संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप को 10 मिलियन फेस मास्क भेज रहा है.
जैसिंडा अर्डर्न के नेतृत्व में न्यूजीलैंड भी कोरोना से लड़ाई में बाकी देशों से काफी आगे निकल गया है. इसकी वजह है प्रारंभिक स्तर पर लिए गए सही फैसले. न्यूजीलैंड ने 19 मार्च को विदेशी आगंतुकों के लिए लॉकडाउन घोषित करते हुए अपनी सीमाओं को सील कर दिया था. उस वक्त वहां कोरोना के केवल छह मामले ही सामने आए थे. इसके बाद बड़े पैमाने पर टेस्टिंग को अंजाम दिया गया, जिसके चलते कोरोना संक्रमितों का पता चला और वायरस के फैलाव को नियंत्रित किया जा सका. अब तक यहां कोरोना के 1,300 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन मृतक संख्या महज 9 है, जो सरकार की बेहतर कार्यप्रणाली की गवाही देती है.
वहीं, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोब्स्दोतिर (Katrín Jakobsdóttir) द्वारा अपने नागरिकों को कोरोना की निशुल्क जांच प्रदान की जा रही है. इसी तरह, फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के प्रयासों के चलते देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या नियंत्रित हुई है.
नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने कोरोना से देशवासियों को बचाने के लिए कारगर उपाय तो अपनाये ही साथ ही उन्होंने लोगों को जागरूक करने और उनकी शंकाओं की दूर करने के लिए कई प्रयोग किए, जिसके लिए उन्हें सराहना भी मिली. उन्होंने टीवी के माध्यम से बच्चों से सीधी बात की और उनके सवालों के जवाब दिए. उन्होंने बच्चों को समझाया कि संक्रमण को रोकने के लिए वे क्या कर सकते हैं. वैश्विक महामारी से निपटने में महिलाओं के नेतृत्व वाले इन और अन्य देशों की सफलता बेहद उल्लेखनीय है, खासकर यह देखते हुए कि विश्व के नेताओं में महिलाएं 7 प्रतिशत से भी कम हैं.