जोनल कार्यालय के राजभाषा विभाग ने अमृता प्रीतम को याद किया

बिलासपुर. हिंदी के प्रसार-प्रचार तथा हिंदी की पहचान को कायम रखने के प्रयास स्वरूप अमृता प्रीतम की जयंती ऑनलाइन मनाई गई। हिंदी एवं पंजाबी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृता को याद करने के लिए रेलवे तथा रेलवे से जुड़े साहित्यकार ऑनलाइन शामिल हुए।
उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक तनवीर हसन ने लटिया की छोकरी पर विस्तृत से चर्चा की . क्योंकि इस कहानी के पात्र को ढूंढने के लिए वे लटिया स्टेशन से जुड़े गांव भी गये थे जहां अमृता प्रीतम की कहानी का वो पात्र मिला और उन इमारत को भी देखा जो खंडहर में तब्दील हो गया है। सांस्कृति धरोहर की बात करते हुए तनवीर हसन ने छत्तीसगढ़ के धरोहर हबीब तनवीर को भी याद किया। इस अवसर पर आमंत्रित कहानीकार/कवयित्री श्रीमती अतिया मसूद ने अमृता को याद करते हुए उनकी मशहूर कविता ‘‘मैं तैनू फिर मिलांगी कित्थे‘‘ का पाठ पंजाबी एवं हिंदी में किया। डीसी मंडल, वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी ने उनकी कविता ‘ ये अक्षर ‘ तथा टी. श्रीनिवासराव ने ‘शहर‘ कविता का पाठ किया।
कार्यक्रम के अंत में मशहूर कहानीकार खुर्शीद हयात ने अपने उदबोधन में अमृता प्रीतम को याद करते हुए उनके बारे में विस्तार से चर्चा की और कहा कि ये जिंदगी जो हमें दिखाई दे रही है वो एक खूबसूरत दास्तां की तरह है. श्री हयात उनकी रचना पर चर्चा करते हुए इन्होंने साहिर लुधियानवी और इमरोज के किस्से भी बयान किये।
श्री हयात ने कहा कि अमृता की कहानियों में एक ऐसी चुंबकीय शाक्ति थी जो अपने साथ पाठकों की एक भीड़ को आज भी लेकर चलती है. उनकी कहानियां हिंदुस्तानी समाज का दर्पण है और उनके पात्र हमारे साथ आज भी चलते हैं। कार्यक्रम का संचालन विक्रम सिंह, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के प्रारंभ में अमृता प्रीतम की जीवनी एवं उनकी लिखी किताबों की पुस्तकालय में उपलब्धता एवं जयंती मनाने के ध्येय को बताया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के कर्मचारी श्री पुषोत्तम गवेल, सावन सिंह कंवर सहित काफी संख्या में श्रोताओं की ऑनलाइन भागीदारी रही।