जोनल रेल कार्यालय में ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता संपन्न

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बिलासपुर.राजभाषा सप्ताह 2020 के क्रम में बुधवार को जोनल रेल कार्यालय में आयोजित वाक प्रतियोगिता ऑनलाइन संपन्न हुई. प्रतियोगिता के लिए 1. हिंदी की दशा एवं दिशा 2. आज के दौर में मीडिया की भूमिका 3.ऑनलाइन शिक्षा का भारतीय परिवारों पर प्रभाव एवं 4. कोरोना काल में निजी व्यवसाय एवं नौकरी की स्थिति, निर्धारित किया गया था. इस प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागियों ने अपनी पसंद के विषय पर विचार रखे और बहुत ही सारगर्भित ढंग से इस कोरोना संकट के होते हुए भी ऑनलाइन जुड़ रहे.काफी संख्या में प्रतियोगी एवं श्रोताओं ने इस विचार गोष्ठी को सुना.

इस प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में कुमार निशांत, उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त एवं संतोष कुमार,वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी सहर्ष उपस्थित हुए. संतोष कुमार नेहिंदी की इस प्रतियोगिता की सार्थकता के पक्ष में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सप्ताह, पखवाड़ा एवं मास के रूप में हिंदी दिवस समारोह को मनाने से बेहतर है. हम हिंदी के दिवस को पूरे 365 दिन मनाएं और आम जनता के हित में हिंदी को व्यापक रूप से सरकारी कामकाज में स्थान दें, क्योंकि अंग्रेजी के जानकार भी अपने मित्रों, रिश्तेदारों एवं परिवार के सदस्यों के समक्ष अपनी मातृभाषा में ही अपनी बात रखने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं. इसी क्रम में कुमार निशांत ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने ही देश में प्रांतीय भाषाओं को अलग रखकर हिंदी के प्रगति की कल्पना नहीं कर सकते.

 

हमारी प्रांतीय भाषाएं ही हिंदी की सहोदर है. जिसके माध्यम से हम अपने मन की बात अच्छे से एक दूसरे को समझा सकते हैं और आज की तारीख में चाहे उर्दू हो या अन्य भाषा हिंदी के साथ मिलकर जो कार्य कर रही है वह अतुलनीय है. उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि गलत अंग्रेजी लिखकर गौरव महसूस करने के बजाय हिंदी में अपना मौलिक कार्य प्रारंभ करें तो इससे बेहतर भाषा प्रेम को कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता. कार्यक्रम का संचालन विक्रम सिंह, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी ने किया. इस अवसर पर विशेष रूप डी.सी.मंडल, वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी (आरपी) एवं खुर्शीद हयात, मुख्य नियंत्रक (कोचिंग) भी ऑनलाइन जुड़े और कार्यक्रम के आयोजन की सराहना में अपने विचार रखें. प्रतिभागियों ने भी इस कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि ऐसे संकट के क्षण में ऐसे आयोजनों का भूरि -भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए. कार्यक्रम को सफल बनाने में राजभाषा विभाग के कर्मी पी.के. गवेल, एन.के.पांडेय एवं सावन सिंह कंवर ने परिश्रम का परिचय दिया.

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