तहसील कार्यालय में चल रहे भर्राशाही से अधिवक्ताओं में आक्रोश, आंदोलन की दी चेतावनी
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. तहसील कार्यालय में अधिकारियों के नहीं बैठने के कारण वर्षों से मामले लंबित पड़े हुए हैं। रसूखदारों ,जमीन दलालों का यहां तत्काल काम हो जा रहा है। अधिवक्ताओं का काम नहीं होने के कारण वे पक्षकारों को जवाब तक नहीं दे पा रहे हैं। शाम पांच बजे के बाद दफ्तर बंद होने पर अधिकारी चुपके से अपने कैबिन में बैठकर उल्टे सीधे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं यहां दलालों का बोल बाला चल रहा है। कई मामलों का निराकरण बिना वकालत नामा के किया जा रहा है जिसके चलते वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो रही है। दलाली राज का विरोध करते हुए अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि कलेक्टर बिलासपुर और राजस्व मंत्री से अधिकारियों की शिकायत की जाएगी। वहीं बात नहीं बनने पर आंदोलन भी किया जाएगा।
फौती, नामांतरण, सीमांकन जैसे महत्वपूर्ण मामले वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि तहसील में काम हो रहा है ऐसी बात नहीं है लेकिन केवल दलालों का काम हो रहा है। इधर नामांतरण तो रजिस्ट्री का खेल खेला जा रहा है। अधिकारी हफ्ते में एक या दो बार ही समय पर पहुंचते हैं वहीं सीमित मामलों को देखते है फिर चले जाते हैं। सोमवार 15 फरवरी को दोपहर तहसील में न तो एसडीएम बिलासपुर उपस्थित थे न ही कोई भी तहसीलदार। दूर दराज से आये लोग रोजाना चक्कर पर चक्कर काटने को मजबूर हैं।
अधिकारी के नहीं बैठने से वकीलों को भी परेशानी होती है वे अपने पक्षकारों को पेशी तारीख तक नहीं तय करा पा रहे हैं इसी तरह ईश्तिहार भी समय पर प्रकाशित नहीं हो पा रहा है। वकीलों ने आरोप लगाते हुए कहा कि एसडीएम बिलासपुर से हमने अनुरोध किया था कि जितने भी आवेदन या प्रकरण आये सब में वकालतनामा अनिवार्य किया जाए। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि हमारी रोजी-रोटी तहसील से लगा हुआ है इसलिए हम सीधे अधिकारियों से नहीं उलझ सकते क्योंकि हमारा भी दस प्रकार का मामला लंबित पड़ा हुआ रहता है। इसी तरह पक्षकारों की शिकायत को कोई सुनने वाला नहीं है महिनों तक लोग तहसील का चक्कर लगाते आ रहे हैं। तहसील में चल रहे मनमाने रवैये से नाराज वकीलों ने भूख हड़ताल और आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
सीमांकन, नामांतरण की खुल गई दुकानें
जिले में भ्रष्टाचार का यह आलम है कि कोई भी निजी व्यक्ति सीमांकन, नामांतरण कब्जा दिलाने के लिए बेनर पोस्टर लगाकर पैसे ले रहा है। मोटी राशि लेने वाले दलालों का सीधे तौर पर अधिकारियों से संपर्क है। सबका रेट फिक्स हो जाने के कारण अधिवक्ताओं की जरूरत ही नहीं पड़ रही है। अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने सीमांकन, नामांकन, फौती प्रकरण का काम निजी व्यक्तियों द्वारा किए जाने का विरोध करते हुए राजस्व मंत्री से शिकायत करने की बात कहीं है।
ऑन लाइन प्रक्रिया को लेकर वकीलों ने की मांग
अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि रजिस्ट्री संबंधी मामलों का निराकरण ऑन लाइन तकनीक से किया जा रहा है लेकिन अधिकांश अधिवक्ताओं को आन लाइन प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है। वकीलों का कहना है कि हम पुराने भू- राजस्व संहिता के माध्यम से कार्य करते चले आ रहे हैं हमने ऑन लाइन प्रक्रिया के तहत काम करने के लिए अधिकारियों से आग्रह किया था कि जितने भी अधिवक्तागण है सबको ट्रेनिंग दिया जाये लेकिन हमारी बातों को अनसुना कर दिया गया।