दिल्ली हाई कोर्ट ने स्कूल खुलने तक Annual Charge पर लगाई रोक, जानिये अदालत का फैसला


नई दिल्ली. लॉकडाउन (Lockdown) के बावजूद पैरंट्स पर विकास शुल्क (Development Charge) और वार्षिक शुल्क (Annual charge) देने का दबाव बना रहे प्राइवेट स्कूलों को दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अभी स्कूल खुले नहीं हैं. इसलिए ये दोनों चार्ज लिए जाने का कोई तुक नहीं बनता. कोर्ट ने कहा कि स्कूल केवल टयूशन फीस ले सकते हैं और कुछ नहीं.

अभिभावकों के एक संगठन ने कोर्ट में दी है याचिका
बता दें कि दिल्ली में एक प्राइवेट स्कूल के अभिभावकों के संगठन ने 25 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल ने एक नोटिस जारी कर पैरंट्स से कहा है कि वे जुलाई से ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक और विकास शुल्क भी जमा करें.

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शनिवार को हुई सुनवाई
अभिभावक संगठन ने स्कूल की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है. इस मुद्दे पर शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शनिवार को सुनवाई हुई. प्राइवेट स्कूल की ओर से वकील ने दलील दी कि लॉकडाउन खत्म हो चुका है. इसलिए वह वार्षिक और विकास शुल्क ले सकता है.

दिल्ली सरकार ने स्कूलों की मनमानी का विरोध किया
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील गौतम नारायण ने कहा कि शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर में स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि में वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने का निर्देश दिया गया थ. चूंकि स्कूल अब तक नहीं खुले हैं. इसलिए यह परिपत्र अब भी लागू है.

अब 16 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि मौजूदा लॉकडाउन में स्कूलों के बंद रहने तक अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लिए जा सकते. अदालत ने दिल्ली सरकार और स्कूल का पक्ष जानने के लिए नोटिस भी जारी किया. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख लगाई है.

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