देव स्थल मद की भूमियों का रिकार्ड राजस्व से गायब


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. राजस्व विभाग के रिकार्ड में दर्ज देव स्थल मद की भूमियां गायब हो चुकी हैं। बिना सिर पैर के विभाग के अधिकारी जमीनों  का बंटाकन, नामांकन का काम कर रहे हैं। सरकारी जमीनों की रखरखाव करने के लिए जो नियम कानून बनाये गए थे उन सभी नियमों को दरकिनार कर राजस्व विभाग के आला अधिकारी काम कर रहे हैं। बिना चांदा मुनारा के जमीनों का नापजोक आज भी बदस्तूर जारी है। आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करने देव स्थल मद भूमियां राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने की परंपरा रही है ताकि आदिवासियों को उनके जमीनों से वंचित न किया जा सके। चिन्हांकित भूमि पर कब्जा या फिर अन्य विवाद न हो इसका पूरा ध्यान पूर्व किया जाता रहा है। विगत 15 से 20 सालों में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने देव स्थल मद की भूमियों को चट करने चिन्हाकित रिकार्ड को गायब कर दिया है।  तहसीलदार व पटवारियों के चक्कर काट-काट कर आदिवासी जमीनों के हकदारों की मौतें भी हो रही है।

राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से मिली भगत कर छलपूर्वक आदिवासियों की जमीनों हड़पने में जमीन दलाल आज भी सक्रिय हैं। मिशल-नक्सा और बिना चांदा मुनारा के कागजों में जमीनों का बंद रबांट राजस्व विभाग के आला अधिकारी रोज कर रहे हैं। भ्रष्टाचार करने के मामले में राजस्व विभाग ने सारे नियम-कानून को ही बदल डाला है। पूरे भारत में छग राज्य का राजस्व विभाग सरकारी जमीनों में हेराफेरी व आदिवासी जमीनों के विवादों के लिए बदनाम हो चुका है। राज्य में आदिवासियों की जमीनों को हड़पने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जो कारनामा किया है वह चौकाने वाले है। देव स्थल मद की जमीनों का रिकार्ड गायब कर बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।

आदिवासी बाहुल्य वाले छ.ग. में राज्य बनने के बाद सबसे ज्यादा आदिवासियों को ही छला गया है। उनके हक की जमीनों को पटवारी और तहसीलदारों ने मिलकर जमकर बंदरबांट किया। शहर से लगे ग्राम मोपका, लिंगियाडी, खमतराई, बहतराई, मंगला, तालापारा, बिरकोना, अमेरी में आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीनें थी। आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करने के लिए देव स्थल मद की भूमि हुआ करती थी, इसी चिन्हाकित भूमि से सटकर आदिवासियों की जमीनें होती थी। ताकि जब कभी भी जमीनों की नापजोक की जाये तो आदिवासी भूमि का हिसाब-किताब में कहीं गड़बड़ी न हो।

बिलासपुर राजस्व मंडल के रिकार्ड में सबसे पहले देव स्थल मद भूमियों के रिकार्ड को गायब किया गया इसके बाद चांदा मुनारा को भी ध्वस्त कर दिया गया है। आज के  दौर में बिना चौहद्दी, चांदा मुनारा के राजस्व विभाग के अधिकारी काम कर रहे हैं। तालापारा में सैकड़ों एकड़ आदिवासी मद की भूमि थी जिसे पटवारी व नगर निगम बिलासपुर के आला अधिकारियों ने मिलकर रसूखदारों को बेच दिया है। तालापारा के जमीनों में हेराफेरी करने के लिए सबसे पहले रिकार्ड को गायब किया गया। आदिवासी मद में दर्ज जमीनों के हकदार इंसाफ मांगते-मांगते मौत के मुंह में शमा चुके हैं। जनहित में राज्य सरकार को बदनाम हो चुके राजस्व विभाग के अधिकारियों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। राज्य में सबसे ज्यादा रायपुर और बिलासपुर संभाग में आदिवासियों की जमीनों को हड़प लिया गया है। अशिक्षित आदिवासी आज भी न्याय की आस लिये दर-दर भटक रहे हैं।

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